बिजली के बिल और टैरिफ परिवर्तन में भ्रम की स्थिति
बिजली टैरिफ परिवर्तन लगभग हर वर्ष होता है। इसलिए, यह दोनों उपभोक्ताओं और वितरण कंपनियों के लिए, अच्छी तरह से प्रबंधित कर पाना मुश्किल होता हैं| वितरण कंपनियों के लिए उनके विभिन्न शुल्क प्रणाली, के कारण इनको व्यवस्थित रख पाना मुश्किल होता हैं और उपभोक्ताओं के लिए इन निरंतर हो रहे बदलावों को समझना मुश्किल होता हैं| हमने 2012 में बिजली बचाओ पहल को शुरू किया था और सबसे पहले चीजों में से एक जिसका हमने निर्माण किया था – वह हैं बिजली बिल कैलकुलेटर, जो समय के साथ यह काफी लोकप्रिय भी हुआ हैं| हर बार जब टैरिफ परिवर्तन होता है’ तब हमे उनके बिजली के बिल को मान्य करने में मदद करने के लिए लोगों से काफी अनुरोध प्राप्त होते हैं| एक नवीनतम मामला जिसका विस्तार हम नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं उसने, हमें इस लेख को लिखने के लिए प्रेरित किया हैं|
विस्तार से मामला
हाल ही में एक राज्य में टैरिफ परिवर्तन हुआ हैं, और परिवर्तन 1 अप्रैल 2013 से प्रभावी हुआ था। नीचे प्रस्तुत नईं टैरिफ प्रक्रिया ऊर्जा प्रभार स्लैब योजना के अनुसार लागू हुईं थी (बिजली के बिल पर ऊर्जा प्रभार को समझने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें) :
स्लैब | दर |
0-250 यूनिट्स | प्रति यूनिट 4.9 रुपए |
251-500 यूनिट्स | प्रति यूनिट 5.6 रुपए |
501-800 यूनिट्स | प्रति यूनिट 5.98 रुपए |
परन्तु, जब उन्हें बिजली बिल प्राप्त हुआ, तब जब बिजली बिल का ब्यौरा कुछ इस प्रकार था:
जिस व्यक्ति को यह बिल मिला वह बहुत उलझन में था, क्यूंकि बिल का कुल योग, खपत के मूल्य से मेल नहीं खा रहा था (स्लैब गणना अनुभाग की जाँच करें)| 248 इकाइयों का 4.9 रुपये की दर से कुल योग 1,215.2 रुपये बनता हैं, हालांकि, बिल पर यह मूल्य 1,109.6 रुपये होता हैं|
इसी प्रकार, अन्य दो स्लैब भी मेल नहीं खा रहे थे, इसके अलावा स्लैब इकाइयों के मूल्य में भी भ्रम की स्थिति बानी हुई थी, पहला स्लैब आदर्शतः 250 इकाइयों के लिए ही होना चाहिए था, और दूसरा स्लैब 300 इकाइयों के लिए| लेकिन दोनों ही बिल के विवरण पर अंकित मूल्य से मेल नहीं खा रहे थे।
बिल की वास्तविकता
अगर आप ध्यान से बिल पर नजर डालें तो, देखेंगे की बिल के लिए अवधि 25 फ़रवरी 2013 से 25 अप्रैल 2013 तक है| जो की लगभग 2 महीने होती हैं| कई बिजली वितरण कम्पनियो के लिए यह टैरिफ स्लैब एक माह के लिए परिभाषित हो रहे हैं (हमारे लिंक पर विभिन्न राज्यों के लिए टैरिफ स्लैब की जाँच करें: 2013 में भारत में सभी राज्यों के लिए घरेलू बिजली एलटी टैरिफ स्लैब और दरे)| तो उपरोक्त मामले में, अगर 1 स्लैब में बिजली दर एक महीने में 250 इकाइयों के लिए लागू की गई हैं तो, यह दो महीने में 500 यूनिट के लिए लागू की जानी चाहिए और इसी तरह अन्य सभी स्लैब के लिए भी। लेकिन एक मुश्किल स्थिति यह थी की भारत में राज्यों में टैरिफ दरे 1 अप्रैल से बदल जाती हैं| 1 अप्रैल से पहले लागू की गयी पुरानी टैरिफ दरे कुछ इस प्रकार थी:
स्लैब | दर |
0-50 यूनिट्स | रुपए 2.7 |
41-250 यूनिट्स | रुपए 4.5 |
251-400 यूनिट्स | रुपए 5.25 |
401 यूनिट्स | रुपए 5.6 |
तो आदर्श रूप से 25 फ़रवरी से 31 मार्च तक सभी इकाइया पुराने दर पर ही चार्ज की जानी चाहिए थी और 1 अप्रैल से ही नया दर लागू होना चाहिए था|
वास्तव में, 31 मार्च खपत इकाई का निर्धारण करना संभव नहीं हैं, इसीलिए हम प्रतिदिन की समान संख्या का मूल्यांकन कर इसकी गणना कर रहे हैं| यह मानते हुए कि, लगभग 383 बिजली इकाई 25 फ़रवरी तक खपत हुई हैं और 282 इकाइया अप्रैल के महीने में खपत हुई हैं|
अब अगर हम पुराने और नए टैरिफ लागू करते हैं तो पाते हैं, 25 फ़रवरी से 31 मार्च तक के लिए राशि इतनी होनी चाहिए:
इकाइया | दर | राशि |
40 | रुपए 2.7 | रुपए 108 |
210 | रुपए 4.5 | रुपए 945 |
133 | रुपए 5.25 | रुपए 698.25 |
टोटल | रुपए 1,751.25 |
अप्रैल माह के लिए राशि इतनी होनी चाहिए: रुपए 5,464
इकाइया | दर | राशि |
250 | रुपए 4.9 | रुपए 1225 |
32 | रुपए 5.6 | रुपए 179.2 |
टोटल | रुपए 1.404.2 |
योग करने पर हम कुल ऊर्जा प्रभार पाएंगे – रुपये 3,155 (1404 +1751)| अगर आप फिर से बिल पर नजर डालें तो चार्ज की राशि होगी रुपये 3,132.25|
निष्कर्ष
हालांकि, बिजली बिल भ्रमित लग सकता है, बिजली वितरण कंपनी ने बिल मूल्य को कुछ इस प्रकार समायोजित करने की कोशिश की है की बिल वास्तविकता के जितना करीब हो सके उतना लगे| हमें प्राप्त हुआ बिल अमूमन गलत तो नहीं होता हैं, लेकिन फिर भी अगर हाल ही में आपके क्षेत्र में शुल्कों में बदलाव हुआ हैं, तो आप भुगतान करने से पहले यह सुनिश्चित जरूर कर ले की प्राप्त हुआ बिल पूर्णता से मान्य है।