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इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल और भारत में उनकी ऊर्जा क्षमता

By on May 7, 2015

भारत में ज्यादातर स्थानों पर बिजली की आपूर्ति अनिश्चित ही रहती है और चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति मानो दुर्लभ ही है|देश में ऐसे कुछ ही स्थान हैं जो बिजली की सतत आपूर्ति होने का दावा कर सकते हैं| इसी कारण से देश में इनवर्टर, यूपीएस और डीजी सेट्स की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है|

हालांकि देश में उपलब्ध इनवर्टर/यूपीएस के कई ब्रांडेड मॉडल हैं, पर अधिकांश लोग अभी भी सस्ते/अनब्रांडेड मॉडल खरीदना पसंद करते हैं, जिनसे बिजली के बिल में काफी वृद्धि हो जाती हैं| इनवर्टर/यूपीएस खरीदते समय उसकी दक्षता/कार्यकुशलता को एक कारक तक नहीं माना जाता है| इनवर्टर पर कुछ लेख जैसे की “एक सौर पीवी प्रणाली के लिए बैटरी और इनवर्टर का सहीं आकार का निर्धारण करना” व “सही बिजली के बिल का प्रबंधन करने के लिए, सही इन्वर्टर का चुनाव“) लिखने के पश्चात, हमने भारतीय बाजार में उपलब्ध इनवर्टर की दक्षता पर कुछ शोध करने के बारे में सोचा| यह लेख हमारे उसी शोध का नतीजा है|

इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल की कार्यकुशलता

कार्यकुशलता को सरल शब्दों में हम पावर उत्पादन (आउटपुट) एवं पावर इनपुट के अनुपात में परिभाषित कर सकते है| अगर इन्वर्टर/यूपीएस नियमित बिजली आपूर्ति का उपयोग कर बैटरी को चार्ज करती है, उस केस में कार्यकुशलता को २ अलग-अलग कार्यो के लिए परिभाषित किया जाता है:

प्रथम चरणबैटरी की चार्जिंग: यहाँ इन्वर्टर बिजली की आपूर्ति से बिजली लेकर बैटरी को चार्ज करता हैं| पावर इनपुट “मेंन पावर” से ली गई ऊर्जा होती हैं, और पावर उत्पादन (आउटपुट) बैटरी में संचयित ऊर्जा होती हैं| कार्यकुशलता यहाँ इन्वर्टर की प्रभावशीलता होती जिससे वह 1 यूनिट (या kWh) बिजली की बचत कर सकता हैं| अगर सारी ऊर्जा ही बैटरी में संग्रहित हो तब इन्वर्टर की दक्षता 100% हो जायेगी|  अगर बैटरी में 0.85 इकाइयां (kwh) ही संग्रहित हो रहीं हो, तो इन्वर्टर की दक्षता 85% होगी, और उसमे से 0.15 इकाइयों की ऊर्जा का ह्रास होगा|

द्वितीय चरणएक बिजली बैकअप के रूप में इन्वर्टर: इस मामले में मुख्य सप्लाई “मेंन पावर” से बिजली की कोई आपूर्ति नहीं होती है, ऊर्जा बैटरी से ही ली जाती हैं और सेटअप को ट्रान्सफर की जाती हैं, जहाँ पर इसका होता इस्तेमाल है|  यहाँ कार्यकुशलता इन्वर्टर की 1 यूनिट (या kWh) बिजली को खीचने व उपयोग करने की प्रभावशीलता को कहते हैं| अगर इन्वर्टर सारी आपूर्ति को प्रभावी रूप से खीचने व उपयोग करने में सफल होता हैं, तब इन्वर्टर की दक्षता 100% मानी जाती हैं|  लेकिन अगर वो मात्र 0.85 इकाई ही खीचने व उपयोग करने में सफल होता हैं, तब इन्वर्टर की दक्षता केवल 85% मानी जाती हैं और इस केस में 0.15 इकाइयों की ऊर्जा का ह्रास होता हैं| (सौर पीवी प्रणाली के मामले में, केवल द्वितीय चरण ही लागू होता है)

पहले चरण में इन्वर्टर की कार्यकुशलता 60% से 90% तक भिन्न हो सकती हैं|  यह बैटरी प्रकार, बैटरी क्षमता और चार्जिंग के स्तर पर आधारित होता हैं| किन्तु हमारे शोध के दौरान, हमे किसी भी भारतीय निर्माता द्वारा इन्वर्टर पर उसकी तकनीकी विशिष्टताओं व दक्षता का उल्लेख नहीं मिला|

दूसरे चरण में इन्वर्टर की कार्यकुशलता 50% से 98% तक भिन्न हो सकती हैं| यह इन्वर्टर के बनाने के आधार पर भिन्न होती हैं| हालांकि यह जानकारी कुछ निर्माताओं द्वारा जरूर प्रकाशित होती हैं, दुर्भाग्यवश हमे अपने शोध में भारत में इस जानकारी को प्रकाशित करने वाला केवल एक भारतीय निर्माता ही मिल सका|

भारत के इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल और उनकी क्षमता

भारत में कई इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल लोकप्रिय हैं| नीचे प्रस्तुत सूची सभी ब्रांडों, उनके मॉडल और उनकी क्षमता को सूचीबद्ध करता है (बैटरी मोड की दक्षता या उपरोक्त चरण 2 जैसा ऊपर उल्लेखित किया गया है)| माइक्रोटेक ही केवल वह ब्रांड है जो अपनी इन्वर्टर क्षमता प्रकाशित करता है (यह डेटा माइक्रोटेक द्वारा अपनी वेबसाइट पर प्रस्तुत किया गया हैं)|

हालांकि, दक्षता डेटा प्रकाशित नहीं करने का एक कारण यह हो सकता हैं की उपभोक्ता इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल खरीदते समय शायद इस जानकारी की मांग ही नहीं करते है| अगर  उपभोक्ता ऐसी मांग रखेंगे, तब निर्माता भी इसे प्रकाशित करने में अधिक रूचि दिखाएंगे और उपभोक्ताओ की बढ़ती दिलचस्पी के साथ इन्वर्टर/यूपीएस मॉडल की कार्यकुशलता वाले मॉडलों  की संख्या भी बाजार में बढ़ेगी|

वैश्विक मानकों से इन्वर्टर क्षमता की तुलना

हालांकि इनवर्टर विकसित देशों में बिजली बैकअप के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किये जातें हैं| लेकिन वे निश्चित रूप से सौर पीवी सिस्टम का अनिवार्य हिस्सा हैं| अमेरिका में कैलिफोर्निया राज्य में “गो सोलर” पहल के तहत सोलर पीवी इनवर्टर की न्यूनतम अनिवार्य क्षमता 90% के रूप में स्वीकार्य की गयी है (लिंक)| और अमरीकी सूची में इनवर्टर की कार्यक्षमता 95% से 98% तक जाती हैं, ऐसा हमे भारत के इनवर्टर/यूपीएस में दुर्भाग्यवश देखने को नहीं मिलती है|

यूपीएस और इन्वर्टर के बीच का अंतर

वैसे दोनों पारिभाषिक शब्द एक दूसरे के स्थान पर पर्यायवाची के तौर पर अक्सर उपयोग किये जातें हैं और दोनों ही बिजली बैकअप समाधान प्रस्तुत करते रहे हैं| दोनों के बीच में फर्क सिर्फ इतना हैं की, बिजली जाने पर, यूपीएस तुरंत बैटरी पर स्विच कर जाता हैं जबकि इन्वर्टर कुछ अंतराल का वक़्त लेता हैं|

सन्दर्भ

http://www.gosolarcalifornia.ca.gov/equipment/inverters.php

http://www.microtekdirect.com

http://luminousindia.com/

http://www.su-kam.com

http://www.videoconworld.com/index.php?option=com_catalog&view=productlisting&id=27&Itemid=148

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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