उपकरणों पर वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के प्रभाव और उनके द्वारा बिजली की खपत
भारत में कई स्थानों में वोल्टेज उतार-चढ़ाव, एक सामान्य सी घटना होती है| कोई आश्चर्य नहीं की हमे बिजली बचाओ पर अक्सर इस विषय पर इतने सारे सवाल प्रायः पूछे जातें हैं| संदर्भ के लिए पाठक हमारे लेख वोल्टेज स्टेबलाइजर्स : कार्य, आकार नियंत्रण और बिजली की खपत पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं| सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की वोल्टेज के उतार चढ़ाव उपकरणों को काफी नुकसान पहुँचा सकते है। परन्तु, लोग शायद ही बिजली की खपत पर वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के प्रभाव पर विचार करते हैं| इस लेख में हम न केवल उपकरणों पर वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के प्रभाव की चर्चा करेंगे, बल्कि विभिन्न उपकरणों की बिजली की खपत पर इसके पड़ते प्रभाव के बारे में भी आपको महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का एक सार्थक प्रयास करेंगे|
भारत में इनपुट वोल्टेज के मानक
भारत में, बिजली का मानक वितरण चरणबद्ध तरीके से होता हैं| एकल चरण (सिंगल-फेज) में बिजली वितरण 230 वोल्ट में किया जाता है और तीन चरण कनेक्शन के लिए यह 415 वोल्ट होता है। तीन चरण कनेक्शन में वितरण 3 लाइनों या भागो में बांटा जाता हैं, प्रत्येक 230 वोल्ट का होता हैं| भारत में बिकने वाली सभी उपकरण अमूनन 220-240 रेंज वोल्ट के होते हैं| इस रेंज से कम और उच्च वोल्टेज पर उपकरण को सही तरीके से कार्य करने के लिए सुधार की आवश्यकता पड़ती हैं, तकनीकी भाषा में इसे ‘करेक्शन’ कहा जाता हैं| भारत में कई स्थानों पर वोल्टेज नियमित आधार पर 150-160 वोल्ट तक नीचे गिरता हैं, अतः सुधार की आवश्यकता अधिक रहती हैं|
उपकरणों दो प्रकार के होते हैं
विभिन्न प्रकार के उपकरण वोल्टेज के उतार-चढ़ाव पर अलग-अलग व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं| वोल्टेज स्टेबलाइजर उपकरणों दो प्रकार के होते हैं – 1. मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) 2. मोटर के साथ (इंडक्टिव लोड आधारित)
मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) उपकरणों के अंतर्गत निम्नलिखित उपकरण आतें हैं:
- लुमिनेरे जैसे बल्ब, ट्यूब लाइट, सीएफएल
- हीटर जैसे पानी और कमरे के हीटर
- इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जैसे टीवी म्यूजिक सिस्टम, डीवीडी, होम थिएटर, लैपटॉप, फोन, आदि
मोटर के साथ उपकरणों के अंतर्गत निम्नलिखित उपकरण आतें हैं:
- एयर कंडीशनर
- रेफ्रिजरेटर
- छत पंखे
- मिक्सर ग्राइंडर
- पंप्स
- वाशिंग मशीन
मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) उपकरण और वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के अनुसार उनका व्यवहार प्रदर्शन
प्रकाश उपकरण जैसे की बल्ब, ट्यूब लाइट, सीएफएल इत्यादि और हीटर जैसे की कमरे और पानी के हीटर, इन उपकरणों को वोल्टेज स्टेबलाइजर्स की जरूरत नहीं पड़ती है। जब वोल्टेज कम होता हैं, तब करंट भी उनके अंदर कम प्रवाहित होता हैं और विपरीत परिस्तिथि में इसका उल्टा ही होता हैं| इसलिए अगर वोल्टेज कम होता हैं, तब इन उपकरणों का आउटपुट (उत्पादन) भी कम हो जाता हैं| जैसे बल्ब कम रोशनी देंगे, रूम हीटर कम गर्मी प्रदान करेंगे, वॉटर हीटर भी धीरे-धीरे पानी को गर्म करेंगे, इत्यादि| जैसे बल्ब कम रोशनी देंगे, प्रकाश बल्ब के द्वारा बिजली की खपत भी कम होगी| वास्तव में, कई नगर पालिका कम मांग के समय पर ‘स्ट्रीट लाइट’ की वोल्टेज को कम कर देती हैं, इस कारण ‘स्ट्रीट बल्ब’ के द्वारा बिजली की खपत भी कम हो जाती हैं| जब वोल्टेज सामान्य से अधिक होता है, तब अधिक करंट इन उपकरणों के माध्यम से प्रवाहित होता हैं, और अगर ऐसा काफी देर तक होता रहे तो निश्चित रूप से अधिक करंट बल्ब या उपकरणों को जलाने (अप्रभावी) करने में सक्षम होगा और तब तक तो वह बिजली का अधिक खपत तो करेगा ही|
अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, जैसे की टीवी, डीवीडी प्लेयर, आदि 230 वाल्ट पर काम नहीं करते हैं| इन उपकरणों में एसएमपीएस (स्विच मोड विद्युत आपूर्ति) नामक एक आंतरिक ‘डिवाइस’ होता हैं, जो 230 वाल्ट को 12 वाल्ट या 24 वाल्ट, (उपकरणों की आवश्यकता के मुताबिक) परिवर्तित कर देता हैं| इसलिए अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को वोल्टेज स्टैबिलिसेर्स की जरुरत नहीं पड़ती हैं| वे न तो कम वोल्टेज से प्रभावित होते है, और न ही उच्च वोल्टेज से उनका कोई नुक्सान होता हैं| इसलिए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती हैं| हालांकि, बाजार में ऐसे कई उत्पाद प्रायः उपलब्ध रहते हैं, इसलिए लोगों को भी ऐसा लगता हैं की अपने उपकरणों की रक्षा करने के लिए शायद हमे इनका इस्तेमाल हमे कर ही लेना चाहिए| परन्तु वास्तविकता यह हैं, की इन उपकरणों को वोल्टेज स्टैबिलिसेर्स से किसी भी सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती है। न तो इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के द्वारा हुआ बिजली खपत, वोल्टेज उतार-चढ़ाव के साथ बदलता है और न ही इनके उत्पादन (आउटपुट) में इससे कोई परिवर्तन होता है।
पावर सर्ज क्या होता है?
पावर सर्ज, अचानक वोल्टेज या करंट में हुई वृद्धि को कहते है, इस कारण संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण को नुकसान हो सकता है| यह अमूमन शॉर्ट सर्किट या बिजली गिरने/आंधी के कारण होता हैं| स्थानीय बाजार में उपलब्ध सर्ज रक्षक या स्पाइक गार्ड, शॉर्ट सर्किट के खिलाफ की रक्षा कर सकते हैं, परन्तु वह बिजली गिरने/आंधी के कारण हुए नुक्सान को रोकने में असमर्थ होते हैं| हालांकि, मुख्य उपयंत्र जो पावर सर्ज से क्षतिग्रस्त हो जाता है, वह होता हैं – एसएमपीएस| उदाहरण के लिए, लैपटॉप के मामले में, लैपटॉप चार्जर पावर सर्ज के मामले में सबसे पहले क्षतिग्रस्त हो जाएगा, परन्तु लैपटॉप अभी भी सुरक्षित ही रहेगा| उसी प्रकार, टीवी में केवल पावर सर्किट ही क्षतिग्रस्त होगा और बाकि उपयंत्र सुरक्षित रहेंगे|
बिजली गिरने से अगर हमे अपने उपकरण जैसे की टीवी को बचाना हैं, तब हमे बिजली गिरने की अवधि के दौरान मुख्य आपूर्ति से टीवी को तुरंत बून्द कर देना चाहिए| अपने उपकरणों की पावर सर्ज से रख्शा के सर्ज रक्षक या स्पाइक गार्ड का इस्तेमाल करना चाहिए| अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक को देखे सर्ज रक्षक: क्या होते हैं? उनको खरीदते समय किन चीज़ो का विशेष ध्यान रखना चाहिएं?
मोटर के साथ उपकरण (इंडक्टिव लोड आधारित) और वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से उनका व्यवहार प्रदर्शन
मोटर वाले सभी उपकरणों के लिए एक ऑपरेटिंग वोल्टेज रेंज होता है। उपकरणों जैसे की एक छत पंखा के लिए बहुत बड़ा ऑपरेटिंग वोल्टेज रेंज होता है और इस तरह वे कम वोल्टेज पर भी काम करने में सक्षम होते हैं| लेकिन एयर कंडीशनर जैसे उपकरणों में ऑपरेटिंग वोल्टेज श्रृंखला तुलना में काफी कम होता हैं, और इस तरह वे कम वोल्टेज पर सुचारू रूप से काम करने में सक्षम नहीं होते हैं| अगर उनको ऑपरेटिंग वोल्टेज श्रेणी की तुलना में कम वोल्टेज प्रदान किया जाता हैं, तो इस अवस्था में पहले तो वो चलते ही नहीं हैं, और अगर वह चल भी रहे हो तो वोल्टेज कम होते ही ‘हमिंग’ ( गुनगुना ध्वनि) जैसी ध्वनि निकालने लगते हैं| यह ‘हमिंग’ ध्वनि इसलिए निकलती हैं, क्यूंकि एयर कंडीशनर चलने के लिए अधिक करंट इस्तेमाल करने लगते हैं| यह ओवर-हीटिंग और इस तरह लगातार चलने पर मोटर को जलाने का (निष्क्रिय) करने का कार्य करती हैं| इसलिए मोटर के साथ उपकरण (इंडक्टिव लोड आधारित) के लिए वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
उच्च वोल्टेज पर यह उपकरण, केवल शुरुआत के समय में अधिक करेंट खींचते हैं, हालांकि स्थिर अवस्था में पहुचने के उपरांत यह थोड़ा कम करेंट खींचने लगते हैं| परन्तु, अभी भी खींचा गया करेंट, मौजूदा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने में सक्षम होता है, इसलिए मोटर्स के साथ उपकरणों को ज्यादा एवं कम वोल्टेज से बराबर संरक्षित करने की आवश्यकता रहती हैं| तो आपको इन उपकरणों की रक्षा करने के लिए वोल्टेज स्टेबलाइजर का इस्तेमाल करना पड़ेगा| हालांकि, एक वोल्टेज स्टेबलाइजर का इस्तेमाल से पहले , यह उपकरण के ऑपरेटिंग वोल्टेज रेंज और आपके क्षेत्र में होने वाले वोल्टेज के उतार-चढ़ाव की जानकारी होना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, बाजार में उपलब्ध ऐसे जैसे कई फ्रिज मॉडल हैं, जिनकी ऑपरेटिंग वोल्टेज श्रृंखला काफी बड़ी होती है, इसलिये इन मॉडल्स को वोल्टेज स्टेबलाइजर्स की जरूरत नहीं होती हैं, अन्यथा आपके क्षेत्र को वोल्टेज, ऑपरेटिंग रेंज से काफी नीचे न चला जाएं|
जहाँ तक मोटर्स के साथ उपकरणों की बिजली की खपत का संबंध है, यह वोल्टेज के साथ ही मशीन के लोड पर भी निर्भर करता है। आम तौर पर अगर मानक वोल्टेज पर लोड कम होगा तो मोटर की दक्षता भी कम ही होगी| उदाहरण के लिए, अगर आपके कमरे को ठंडा करने के लिए 0.5 टन के एसी की जरूरत है, और आपने 1.5 टन का एसी रखा है, हालांकि इससे मोटर की दक्षता तो कम होगी, परन्तु आपको कमरे को शीघ्र ठंडा करने का लाभ अवश्य मिलेगा| अगर हम दूसरा उदाहरण ले, अगर आपकी कपड़े धोने की मशीन 7 किलो भार तक संभाल सकती हैं, परन्तु आपने उसमे मात्र 2 किलो भार डाला हैं, तो इस परिस्थिति में मोटर की दक्षता कम होगी| ऐसा इसलिए होता हैं क्युकि आप अधिक ऊर्जा का उपयोग एक छोटे से काम को करने के लिए कर रहे होते हैं| हालांकि, अगर वोल्टेज कम है, तो कम लोड पर, आप देखेंगे की मोटर की दक्षता में सुधार होगा। इसलिए, अगर आपको यह पता हो की आपका एसी ओवर-साइज्ड है और आपका घर का इनपुट वोल्टेज 200 या 210 वाल्ट हैं, तो ऊर्जा की खपत भी इन परिस्थितियो में कम हो जाएगी|
पूरे लोड पर उच्च वोल्टेज, मोटर्स के लिए फायदेमंद रहता हैं, क्यूंकि इससे उनकी क्षमता में वृद्धि होती हैं| यहां पर ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने आगमनात्मक भार (पेज 36) के बारें में गहनता से उल्लेख किया है।
निष्कर्ष
हमे निरंतर ऐसे कई सवाल प्राप्त होते हैं, जिनमे हमसे विभिन्न उपकरणों के लिए वोल्टेज स्टेबलाइजर्स संबधित जानकारी मांगी जाती हैं| कृपया ध्यान दें, की ‘लुमिनरीज’ और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए वोल्टेज स्टेबलाइजर लगाने की कोई जरूरत नहीं होती है| हालांकि, अगर आप एक ऐसे उपकरण जिसमे मोटर (या कंप्रेसर) लगी हो, उसकी रक्षा करना चाहते हैं, तो आपको वोल्टेज स्टेबलाइजर लगाने की जरूरत पड़ेगी, जो उस उपकरण की दोनों उच्च के साथ-साथ कम वोल्टेज से होने वाले नुक्सान से सुरक्षा करेगी|
जहां तक बिजली की खपत का संबंध है, कम वोल्टेज बिजली की खपत को कम करता हैं, वही उच्च वोल्टेज बिजली की खपत में वृद्धि करता हैं| अगर वोल्टेज 210 वाल्ट से बस थोड़ा सा ही कम है, तो एक तरह से यह आपके लिए अच्छा ही है, इससे बिजली की खपत कम होगी| हालांकि, अगर यह 240 वाल्ट के आस-पास हैं, तब बिजली की खपत में वृद्धि होगी| अगर यही वोल्टेज 250 -260 के आसपास या 190 वाल्ट से कम या आसपास हैं, इस अवस्था में आपको निश्चित रूप से अपने बिजली वितरण कंपनी के साथ एक शिकायत दर्ज करानी चाहिए, इतना कम अथवा अधिक वोल्टेज आपके उपकरणों को जरूर नुकसान पहुंचा सकता है।
यह भी ध्यान रखने वाले बात हैं की, वोल्टेज स्टेबलाइजर्स भी अपने द्वारा कुछ बिजली की खपत/सेवन करते हैं, यह अमूमन उनके आकार पर निर्भर करता है| एक वोल्टेज स्टेबलाइजर आम तौर पर 3-4% लोस्सेस देता हैं, अतः हमे कभी भी वोल्टेज स्टेबलाइजर्स को ओवरसाइज (अनावश्यक आकार में बड़ा) नहीं करना चाहिए| एक 3 केवीए स्टेबलाइजर का लोस्स 3% के करीब होगा, भले ही आप इस पर मात्र 1 केवीए लोड चला रहे हो| हमे निरंतर ऐसे उपकरणों का चुनाव करना चाहिए जिनकी वोल्टेज श्रृंखला अधिक हो, अर्थात वो कम एवं अधिक वोल्टेज पर एक समान कार्य करने में सक्षम हो, इससे न केवल आप एक वोल्टेज स्टेबलाइजर के अतिरिक्त खर्च से बचेंगे, बल्कि निश्चित रूप से आपकी बिजली की बचत भी हो जाएँगी| इसके अलावा, आप यह भी सुनिश्चित करें की इस्तेमाल न होने पर आप इन उपकरणों को बंद कर दे, क्यूंकि बिजली उपकरणों के न चलने पर भी अगर वोल्टेज स्टेबलाइजर्स ‘ओन’ हैं, तब भी इस अवस्था में यह लगातार 1% बिजली की खपत करेगा| इसलिए अगर आप एक एयर कंडीशनर पर एक केवीए का वोल्टेज स्टेबलाइजर्स लगा रहे हैं, तो यह एक घंटे में बिजली की लगभग 0.15 इकाइयों का सेवन करेगा, भले ही उस अवधि में आप एसी का प्रयोग नहीं कर रहे हो|