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डिशवॉशर: कितनी बिजली का इस्तेमाल करते हैं और कैसे उनका कुशलतापूर्वक उपयोग करना चाहिए?

By on September 2, 2015

पुराने बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों में घरेलु नौकरानियों को हमेशा अपने हाथों से बर्तन धोते हुए देखा हैं।  बर्तनो की सफाई, उनको कस के रगड़ना और उसको सुखाने की प्रक्रिया, आज भी हमारे घरो में परंपरागत रूप से सामान्य हाथों से ही होती हैं| लेकिन हम यह कह सकते हैं, की धीरे-धीरे ही सही परन्तु लगातार डिशवॉशर ने भारतीय रसोई में भी प्रवेश कर लिया हैं| महानगरों और बड़े शहरों में कई लोगों ने बर्तनो की रोजाना की  सफाई को अधिक स्वचालित और विश्वसनीय बनाने के लिए डिशवॉशर को खरीदना और इस्तेमाल में लाना शुरू कर दिया है|  जैसा की स्पष्ट हैं, की  किसी भी अन्य एवं अतिरिक्त विद्युत उपकरण के उपयोग से हर महीने बिजली के बिल की इकाइयों में वृद्धि होती ही हैं, डिशवॉशर के उपयोग से भी कुछ ऐसा ही होता हैं|

एक डिशवॉशर अपना परिचालन किस प्रकार करता हैं?

एक डिशवॉशर कुछ स्वचालित कदम के अनुक्रम में संचालित होता हैं, इसका मतलब वह संचालित होने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करता हैं, जो की कई विधियो का संयोजन होती हैं, परन्तु यह विधिया स्वचालित होती और एक अनुक्रम में ही कार्य करती हैं| पहले डिशवॉशर पानी से भर जाता है और पानी को एक वांछित तापमान पर गर्म करता हैं| फिर बर्तन को बारी-बारी से गर्म पानी और डिटर्जेंट के साथ स्प्रे किया जाता हैं, पानी को निकालने (ड्रेनिंग) और उसको दोबारा भरने (रेफिल्लिंग) की प्रक्रिया भी निरंतर सतत चलती रहती हैं| अंत में बर्तनो को हवा में या गर्मी देकर या धूप में सूखने दिया जाता हैं| जैसा की विदित हैं, आम तौर पर किसी भी हीटिंग आपरेशन में बिजली की काफी खपत होती हैं, इसलिए पानी को गर्म करने एवं बर्तनो को गर्मी के माध्यम से सुखाने के लिए अतिरिक्त बिजली का सेवन, डिशवॉशर के माध्यम से भी होता हैं|

डिशवॉशर कितनी बिजली का उपयोग करते हैं?

अब सवाल उठता हैं की डिशवॉशर कितनी बिजली का उपयोग करते हैं? आपकी जानकारी के लिए, डिशवॉशर विभिन्न आकारों में आते हैं और वे कई भिन्न-भिन्न तरीको (मोड्स) में इस्तेमाल भी किये जाते हैं| हालांकि, एक नियमित डिशवॉशर अमूमन 1-2 बिजली इकाइयों की खपत (प्रति लोड) ही करता हैं (स्रोत: फ्लोरिडा सौर ऊर्जा केन्द्र)| हमने भी हाल ही में, अपने एक दोस्त के घर पर इस्तेमाल होते  एक डिशवॉशर की पड़ताल की, और पाया की डिशवॉशर मशीन ने उपलब्ध सबसे इष्टतम और ऊर्जा कुशल मोड पर बिजली की मात्र 1 यूनिट की ही खपत की| हम कह सकते हैं की एक महीने के  उपयोग करने के उपरांत यह बिजली की 30-60 इकाइयों की खपत करता होगा| आप हमारे कैलकुलेटर – ऑनलाइन बिजली बिल कैलक्यूलेटर – भारत में सभी राज्यों के लिए, का उपयोग करके यह पता लगा सकते हैं की डिशवॉशर के महीने भर उपयोग से आपका कितना खर्चा आता है|

डिशवॉशर के उपयोग में बिजली बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

निम्नलिखित युक्तिया डिशवॉशर के उपयोग पर खर्च हुई अतिरिक्त बिजली का संचय करने में हमारी सहायता करती है:

1.  डिशवॉशर का प्रयोग कम तापमान की सेटिंग पर ही करें| हीटिंग के प्रयोग से अत्यधिक बिजली की खपत होती हैं, इसलिए यह आवश्यक होता हैं की डिशवॉशर का इस्तेमाल आप ‘ऑप्टीमम’ तापमान सेटिंग पर ही करें| इस विषय पर अधिक जानकारी हेतु आप उत्पाद के मैनुअल में निर्माता द्वारा प्रस्तुत जानकारी एवं सिफारिश की अच्छी तरह से पड़ताल कर सकते हैं|

2.  आप यह सुनिश्चित करें की उपयोग के समय, डिशवॉशर पूरी तरह से भरा हुआ हो, परन्तु यह अधिभार (ओवरलोडेड) भी नहीं होना चाहिए| ओवरलोडिंग बेहतरीन प्रदर्शन देने में बाधा उत्पन्न करती हैं|

3.  यदि वहाँ बर्तन को सुखाने के लिए डिशवॉशर में ‘एयर-ड्राइड’ मोड उपलब्ध हैं, तो हमे उसी का ही उपयोग करना चाहिए| बर्तन को सुखाने के लिए, हमे हीटिंग तत्व के प्रयोग से बचना चाहिए| हीटिंग तत्व के प्रयोग से अत्यधिक बिजली की खपत होती हैं| अंतिम बार धुलने के उपरांत थोड़ा दरवाजा खोलने से बर्तन जल्दी सूखता हैं|

4. उपयोगकर्ता को डिशवॉशर-मैनुअल में वर्णित सबसे अधिक ऊर्जा कुशल मोड में ही डिशवॉशर का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए|

ऊर्जा कुशल डिशवॉशर का कुशलता से उपयोग करने पर ना केवल बिजली की महत्वपूर्ण बचत होगी, अपितु यह पानी का भी संचय करेगा और जैसा की हम सब जानते ही हैं की दोनों ही बहुमूल्य संसाधन हैं|

सन्दर्भ

http://www.fsec.ucf.edu/en/publications/pdf/FSEC-CR-1772-08.pdf

http://energy.gov/energysaver/articles/tips-kitchen-appliances

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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