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एयर कंडीशनर: एल्यूमीनियम बनाम तांबे का कॉयल

By on February 24, 2018

भीषण गर्मी के दौरान शांत सुखद हवा का एहसास मात्र एक स्विच की दूरी पर होता है| बस एयर कंडीशनर को एक बार ‘ओन’ कर देने की देर होती हैं और कुछ ही समय के भीतर आप अपने चारों ओर वातानुकूलित वातावरण और ठंडी हवा महसूस कर सकते हैं| कौन सा एयर कंडीशनर बेहतर है, इसका निर्णय विभिन्न कारक करते हैं| इसके साथ ही एक पुरानी बहस भी जारी हैं कि, तांबे या एल्यूमीनियम कॉयल से बने एयर कंडीशनर में कौन सा बेहतर है| हमें प्रत्येक प्रकार के फायदे या नुक्सान पर चर्चा करने से पहले, वातानुकूलन प्रक्रिया में इन कॉयल के महत्व को भी समझना होगा|

कॉयल का महत्व:

रेफ्रिजराँत वातानुकूलन करने के लिए मूल तत्व होता हैं, जो गैसीय अवस्था में कमरे की गर्माहट को लेकर कंप्रेसर द्वारा तरल अवस्था में बदल जाता है| इस पूरी प्रक्रिया को प्रशीतन प्रक्रिया (रेफ्रिजरेंट साइकिल) कहते हैं| यह प्रक्रिया मुख्यतः 4 भागों में विभाजित होती है:

1) कम्प्रेशन: गैस को दबाव के माध्यम से एक उच्च दबाव गर्म तरल में बदल दिया जाता हैं|

2) कन्डेन्सेशन (संघनन): उच्च दबाव गर्म तरल रेफ्रिजराँत को कम्प्रेशन प्रक्रिया से और कंडेंसशन कॉइल्स के माध्यम से पारित कराया जाता हैं, जहाँ वह आसपास की हवा में गर्मी का निस्तार (निवारण) करता हैं|

3) एक्सपेंशन वाल्व: उच्च दबाव तरल को कम दबाव तरल में परिवर्तित करने वाले वाल्व को एक्सपेंशन वाल्व भी कहते हैं|

4) वाष्पीकरण: कम दबाव तरल रेफ्रिजराँत फिर से वाष्पीकरण कॉयल में वाष्पीकरण की प्रक्रिया से गुजर कर तरल से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता हैं, जहाँ वो कमरे में उपलब्ध गर्मी को खींच लेता हैं| वाष्पीकरण की प्रक्रिया इनडोर इकाई में होती हैं, जबकि अन्य सभी प्रक्रियाए आउटडोर इकाई में संपन्न होती हैं (जैसे की स्प्लिट एसी के मामले में होता हैं)|

Source: http://en.wikipedia.org/wiki/Air_conditioning

असल में आंतरिक हवा से गर्मी बाहर जाकर बाहरी वातावरण में हस्तांतरित होती हैं, और यह हस्तांतरण कॉयल में ही होता हैं|

वाष्पीकरण कॉयल में रेफ्रिजराँत, वाष्पीकरण की प्रक्रिया से गुजर कर तरल से गैस में परिवर्तित होता हैं| इस प्रकार, जो हवा ठंडी होती हैं, उसे कमरे में निर्देशित किया जाता हैं| गैसीय अवस्था में रेफ्रिजराँत को कम्प्रेशन प्रक्रिया से और कंडेंसशन कॉइल्स के माध्यम से पारित कराया जाता हैं, जहाँ वह आसपास की हवा में गर्मी का निस्तार (निवारण) करता हैं| यह गर्म हवा निकास (एग्जॉस्ट) पंखो के माध्यम से बाहर की जाती हैं| यह सिद्धांत HVAC प्रणाली आधारित सभी प्रकार के उपकरणों में काम करता रहता है, सिर्फ प्रणाली के आकार बदलते रहते हैं| इसलिए उनमे इस्तेमाल हो रहे कॉयल के विभिन्न प्रकार HVAC प्रणाली की दक्षता को प्रभावित करते हैं| कॉयल के आकार, उनको बनाने में इस्तेमाल हो रही सामग्री, सफाई और रखरखाव की सुगमता; सभी HVAC प्रणाली के कामकाज में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं|

ऐतिहासिक जानकारी:

अतीत में इस कॉयल को बनाने के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प था तांबा| कई सालों तक केवल तांबे से ही HVAC प्रणाली के विभिन्न कॉयल बनाये जाते थे, तांबा अपने विभिन्न लाभों के कारण एक स्वाभाविक पसंद था| हालांकि इसके कारण एयर कंडीशनर की बनावट की लागत महंगी हो जाती थी और हर कोई उसे खरीद नहीं सकता था| 1970 के आसपास जनरल इलेक्ट्रॉनिक्स नामक कंपनी ने एक ऐसा ही कदम उठाया जो एयर कंडीशनिंग उद्योग के लिए गेम चेंजर साबित हुआ| कॉयल बनाने के लिए उसने एल्यूमीनियम का उपयोग शुरू कर दिया| एल्यूमीनियम के उपयोग की लागत, तांबे की तुलना में काफी कम थी, जिसने एयर कंडीशनर जैसे लक्जरी उपकरण की कुल लागत को काफी कम कर उपभोक्ताओं की खरीदक्षमता की सीमा में लाया गया| तब से एक नई बहस का जन्म हुआ की कौन सी सामग्री या धातु कॉयल बनाने के लिए ज्यादा बेहतर है|

अब बहस शुरू करते हैं:

1) हीट स्थानांतरण विशेषताएँ: जैसे की कॉयल के भीतर गर्मी का हस्तांतरण होता हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता हैं की धातु हीट स्थानांतरण विशेषताओं से अच्छी तरह परिपूर्ण हो| तांबा एल्यूमीनियम की तुलना उच्च हीट हस्तांतरण गुणांक रखता हैं| इसका मतलब तांबा एक बेहतर हीट एक्सचेंजर होता है|

2) लागत और लचक (गुणवत्ता आसानी से बेंट होने की): तांबा जो की एल्यूमीनियम, की तुलना में महंगा होता हैं न सिर्फ एयर कंडीशनर को बनाने की लागत को बढ़ाता हैं, बल्कि एयर कंडीशनर की पूरी कीमत में भी वृद्धि करता हैं| इसी वजह से एसी के निर्माण की इकाई लागत को कम करने के लिए, एल्यूमीनियम, एसी निर्माताओं का पसंदीदा विकल्प बन गया है|

एक और पहलू जिस पर विचार किया जाना चाहिए, वह हैं लचक| एल्यूमीनियम, तांबे की तुलना में वांछित आकार में बेंट या मोड़ होने के लिए बेहतर क्षमता रखता हैं| इसलिए एक ही आकार का तार बनाने के लिए, एल्यूमीनियम के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक तांबे की जरुरत पड़ती हैं| इस प्रकार सारी प्रक्रिया महंगी हो जाती हैं| हालांकि, एसी की लागत को नीचे लाने के लिए पतली तांबा कॉयल का प्रयोग आये दिन हो रहा हैं|

3) ताकत और विश्वसनीयता (रिलायबिलिटी): तांबा, एल्यूमीनियम की तुलना में मरम्मत की दृष्टि से काफी सुगम होता हैं| कई बार, एल्यूमीनियम कॉयल क्षतिग्रस्त हो जाने पर बदलाव मांगता हैं| तांबे के कॉयल एल्यूमीनियम की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं, इसलिए वे टिकाऊ भी होते हैं| इन दिनों पतला तांबा कॉयल का उपयोग हो रहा हैं, जो उसकी उच्च लागत को कुछ कम करता हैं| हालांकि, इनकी अपनी खुद की समस्या होती हैं कि नए रेफ्रिजरेंट्स जो पुराने HCFCs की जगह ले रहे हैं, उनमे उच्च दबाव से कार्य करते समय वह (पतला तांबा कॉयल) लीकेज के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं| इसकी वजह से तांबा कम टिकाऊ होता हैं, व उच्च रखरखाव मांगता हैं और कॉयल की जीवन अवधि भी कम हो जाती हैं|

4) रखरखाव में आसानी: कंडेनसर कॉइल्स आमतौर पर घर के बाहर यूनिट में रखे जातें हैं, जहाँ वह निरंतर कठोर जलवायु और धूल के संपर्क में रहते है और बेहतर कामकाज व उपयोग के लिए इन्हे नियमित रूप से सफाई की जरूरत भी पड़ती हैं| हालांकि, वे टिकाऊ जरूर होते हैं और उनको साफ़ करना व स्वच्छ बनाए रखना काफी आसान होता हैं| जबकि एल्यूमीनियम कॉइल्स इतने मजबूत नहीं होते हैं, और उनको हैवी ड्यूटीकैबिनेट में रखा जाता हैं| जहाँ व किसी भी प्रकार की छति से मुक्त रहते हैं| इस कारण, उनको स्वच्छ बनाए रख पाना काफी मुश्किल भी होता हैं (युक्ति: आप कॉयल साफ और उन्हें स्वच्छ बनाए रखने के लिए सुविधाएं जैसे की ऑटो क्लीन मोड, आदि की बराबर जानकारी ले| कुछ हिताची एसी स्वतः ‘ऐवपोरटर कएल क्लीन मोड’ जैसी सुविधा के साथ आतें हैं, जो ऐवपोरटर कएल को अपने आप साफ़ कर देते हैं, फलस्वरूप उसका रखरखाव भी आसान हो जाता हैं)|

5) ज़ंग: ज़ंग एक एयर कंडीशनर के जीवन का निर्धारण करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| ज़ंग कॉयल को नुकसान पहुचाते हैं, जिसके कारण हीट हस्तांतरण प्रक्रिया बाधित होती हैं और परिणामस्वरुप रिसाव होता हैं| इसलिए, यह अतिमहत्वपूर्ण हैं, की हम कॉयल को ज़ंग से होने वाले नुक्सान से बचाएँ| जंग से क्षति हवा में नमी की मात्रा अधिक होने से ज्यादा होती हैं| उमस भरे मौसम में और समुंद्र किनारे रहने वाले लोगों के लिए जंग एक विकट समस्या हैं, क्यूंकि ऐसे क्षेत्रों में नमी की मात्रा अधिक होती हैं|

तांबा में ज़ंग ‘फॉर्मिकार्य ज़ंग’ के रूप में होता हैं, लेकिन नियमित रूप से कॉयल की सफाई और सावधानी बनाए रखने से हम इस प्रकार के ज़ंग को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं| बड़ी समस्या एल्यूमीनियम कॉयल के साथ आती है| इनके जोड़ों में गैल्वेनिक ज़ंग हो सकती हैं| गैल्वेनिक ज़ंग तब होती हैं जब एल्यूमीनियम कॉयल, तांबे ट्यूब के साथ जुड़ जाते हैं| गैल्वेनिक ज़ंग तब होती हैं, जब दो भिन्न धातु जैसे की तांबा और एल्यूमीनियम नमी के रूप में एक इलेक्ट्रोलाइट की उपस्थिति में संपर्क में होते हैं| इस ज़ंग के कारण, कॉयल के ऊपर एक नॉनकंडक्टिंग परत बनती हैं, जो कॉयल की गर्मी व विनिमय क्षमता को कम कर देती हैं| आजकल कई आधुनिक प्रौद्योगिकियों के विस्तार के कारण, जंग रोधक तकनीकी बाजार में बढ़ोतरी आ गई हैं, जो ज़ंग के खिलाफ कॉयल की रक्षा करती हैं और इस प्रकार एसी के जीवन को बढ़ाने में भी मददगार होती हैं (युक्ति:एसी खरीदते समय, ज़ंग संरक्षण तकनीकों जैसे की कॉयल के ऊपर परत/कोटिंग आदि का विशेष ध्यान रखे)|

विज्ञान हमेशा एक समाधान के साथ आता है:

प्रत्येक प्रकार के धातु के लाभ एवं नुक्सान होते हैं, जो कॉयल बनाने के लिए उपयुक्त विकल्प होने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं| और जब हम इसका उत्तर तलाश करते हैं की कौन सा धातु बेहतर है, तब हमे कुछ आधुनिक तकनीक की जांच परक अवश्य कर लेनी चाहिए की कौन सा धातु प्रदर्शन और कॉयल की दक्षता के मामले में अच्छे परिणाम दे सकता हैं| कुछ उल्लेखनीय प्रौद्योगिकियों हैं:

ब्लू फिन कोंडेंसेर्स: सबसे आम समाधान हैं की कॉयल को एंटीकरोसिव (संक्षारक) सामग्री के साथ प्रीकोट कर दे| महत्त्वपूर्ण ब्रांड जैसे की वोल्टास आदि इनका इस्तेमाल भी करते हैं| इस तकनीक के लिए एक और नाम हैं ब्लू फिन कोंडेंसेर्स‘, यह तकनीक उल्लेख़नीय ब्रांड पैनासोनिक, इलेक्ट्रोलक्स, ओ जनरल, ब्लू स्टार, आदि इस्तेमाल करते हैं| इस तकनीक में कॉयल को नमी और सीलन से सुरक्षित किया जाता हैं| यह तकनीक तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती हैं|

Source: http://web.tradekorea.com/upload_file2/sell/70/S00043870/ar_conditioner_condenser.jpg

माइक्रो चैनल: सभी एल्यूमीनियम कॉइल्स माइक्रो चैनल कंडेनसर कॉइल्स होते हैं| कई फ्लैट ट्यूब का समूह होते हैं, और यह एल्यूमीनियम से बने होते हैं| इनमे छोटे चैनल (मिक्रोचंनेल्स) होते हैं जिसके माध्यम से रेफ्रिजराँत बहता हैं| इस सेटअप में फ्लैट ट्यूब, एल्यूमीनियम फिन्स, दो रेफ्रिजराँत मनीफोलडस के बीच में स्थित होते हैं| क्यूंकि, इस सेटअप में दो भिन्न धातुओं का कोई संयुक्त जोड़ नहीं होता हैं, इसलिए यह गैल्वेनिक जंग से मुक्त होते हैं| इन कॉयल की वजह से न केवल तटीय क्षेत्रों के लोगो को एक उपयुक्त विकल्प मिलता हैं, बल्कि यह कॉयल के थर्मल प्रदर्शन में भी सतह क्षेत्र को बढ़ाकर वृद्धि करता हैं| सैमसंग इस तकनीक का अपने कई मॉडलों में भरपूर उपयोग करता हैं| वह मूली जेटप्रौद्योगिकी के नाम से इस तकनीक का उपयोग करता हैं| शार्प भी मल्टी चैनल कंडेनसरके नाम से इस तकनीक का उपयोग करता हैं|

Source: http://yorkcentraltechtalk.files.wordpress.com/2012/05/microchannel-coil-construction2.jpg

एक्स्ट्रा हीट एक्सचेंजर: हिताची एसी एयर कूल्ड होते है, उनमे एक्स्ट्रा हीट एक्सचेंजर होता हैं, जो की कएल के साथ लगा होता हैं, यह हीट एक्सचेंजर कंडन्सेट पानी के द्वारा ठंडा किया जाता हैं| वाटरकूलिंग, एयरकूलिंग तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं| इसलिए, इस अतिरिक्त हीट एक्सचेंजर के साथ मशीन की गर्म हवा बाहर फेंकने की क्षमता, सिर्फ एयरकूलिंग की तुलना में काफी बढ़ जाती है| इस प्रकार, एसी भी बहुत उच्च परिवेश तापमान पर कुशलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम हो पातें हैं|

मददगार सुझाव:

1) एसी खरीदते समय जंग संरक्षण तकनीकों के लिए जरूर देखना चाहिए, जैसे एंटीजंग कोटिंग, ब्लू फिन कंडेंनसरस, इत्यादि|

2) आप कॉयल को साफ और उन्हें कुशल बनाए रखने के लिए इस तरह की सुविधाओं को देखिये| कुछ हिताची एसी ऐवपोरटर कॉयल क्लीन मोडतकनीक के साथ आतें हैं, जो ऐवपोरटर को स्वतः अपने आप साफ़ कर देते हैं, फलस्वरूप उसका रखरखाव भी आसान हो जाता हैं|

एक नज़र में सारांश:

विशेषताएँ

तांबे का कॉयल

एल्यूमीनियम का कॉयल

हीट स्थानांतरण

एल्यूमीनियम से बेहतर

तांबे से कम

जंग

फॉर्मिकार्य जंग

गैल्वेनिक जंग, जब एल्यूमीनियम कॉयल, तांबे ट्यूब के साथ नमी के रूप में एक इलेक्ट्रोलाइट की उपस्थिति में संपर्क में होते हैं|

लचक

अधिक धातु की जरूरत, तार बनाने में होती हैं

तांबे की तुलना में कम धातु का तार बनाने के लिए आवश्यकता होती है|

लागत

कच्चा तांबा एल्यूमीनियम की तुलना में महंगा होता हैं

कच्चा एल्यूमीनियम तांबे की तुलना में सस्ता होता हैं|

टिकाऊपन

एल्यूमीनियम की तुलना में मजबूत, इसलिए अधिक टिकाऊ

तांबे की तुलना में कम मजबूत एवं कम टिकाऊ, अक्सर सुरक्षा के लिए भारी कैबिनेट में रखा जाता हैं|

रखरखाव की आसानी

एल्यूमीनियम की तुलना में स्वच्छ बनाए रखना आसान

भारी कैबिनेट की वजह से स्वच्छ बनाए रखना कठिन होता हैं|

मरम्मत

एल्यूमीनियम की तुलना में आसान मरम्मत की जरुरत पड़ती हैं

भारी कैबिनेट की वजह से मरम्मत में मुश्किल आती हैं और कई बार पूरी तरह प्रतिस्थापन की आवश्यकता भी होती हैं|

सन्दर्भ

 
 
 
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