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बिजली की बचत के लिए छत के पंखे के लिए सही रेगुलेटर चुनें

By on August 27, 2015

भारतीय परिवार में छत का पंखा सबसे आम उपकरणों में से एक है| एक उष्णदेशीय (ट्रॉपिकल) देश होने के नाते, भारत पंखे पर बहुत अधिक निर्भर करता है और देश के लगभग हर कमरे में एक पंखा होता ही है| जब हम एक छत का पंखा खरीदने के लिए जाते हैं, हमें उसके साथ एक रेगुलेटर भी मिलता है| रेगुलेटर विभिन्न प्रकार के होते हैं, और विभिन्न छत के पंखे अलग  -अलग प्रकार के रेगुलेटर के साथ आते हैं| अधिकांश लोग आम तौर पर, रेगुलेटर की परवाह नहीं करते हैं, लेकिन यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि रेगुलेटर भी बिजली बर्बाद कर सकते हैं और आपके बिजली के बिल में महत्वपूर्ण वृद्धि कर सकते हैं|

अच्छी खबर यह है कि आप हमेशा आपूर्ति रेगुलेटर लेने से मना कर सकते है और बदले में  उसके बराबर की छूट भी प्राप्त कर सकते है| लेकिन इसके लिए आपको रेगुलेटर के प्रकार के बारे में पता होना आवश्यक है|

एक पंखा कैसे काम करता है?

एक छत के पंखे में एक विद्युत मोटर और धातु ब्लेड जुड़े होते हैं| जब हम पंखे को चालू करते है, तो वोल्टेज का अंतर, मोटर के माध्यम से पंखे में बिजली की धारा को प्रवाहित करता है और फलस्वरूप पंखा घूमता है| रेगुलेटर वोल्टेज को नियंत्रित करता है, जो की धारा के प्रवाह को भी सुविधानुसार कम या अधिक करता है| जब वोल्टेज कम होगा तो पंखे की गति भी धीमी ही होगी| इस प्रकार रेगुलेटर पंखे के वोल्टेज के स्तर को नियंत्रित करता है|

रेगुलेटर के प्रकार

आजकल बाजार में तीन प्रकार के नियामक उपलब्ध हैं: इलेक्ट्रिक रेगुलेटर, स्टेप टाइप इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर और मूवेबल इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर। सभी रेगुलेटर पंखे की गति को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं और इस तरह तीनों की बिजली की खपत को संभालने की दक्षता भी भिन्न होती है| कीमत के नजरिए से इलेक्ट्रिक रेगुलेटर सबसे सस्ते  होते है, लेकिन क्रियान्वयन की दृष्टिकोण से यह इन तीनों रेगुलेटर में यह सबसे अक्षम रेगुलेटर भी होते है| हम कीमत के प्रभाव से पड़ते प्रभाव की संबंधित जानकारी को संकलन करने की प्रक्रिया में हैं, और बहुत जल्द ही हम अपडेट के साथ उपस्थित होंगे| लेकिन, पहले हम यहाँ तीनों प्रकार के नियामक की गहनता से पड़ताल करते हैं:

इलेक्ट्रिक रेगुलेटर

अतीत में हमारे घरों में पारंपरिक रेगुलेटर ज्यादातर इस प्रकार के ही होते थे| इन रेगुलेटर में छत के पंखे के लिए वोल्टेज कम करने के लिए प्रतिरोध लगे होते है| वोल्टेज कम होने के साथ प्रतिरोध गर्म होता है, और इस तरह पंखे की गति को कम करने से बचायी गयी बिजली पंखा रेगुलेटर में गर्मी के रूप में खो देता है| आंतरिक गर्मी भी लंबे समय तक चल रहे रेगुलेटर को ख़राब कर देती है| इस प्रकार के रेगुलेटर आकार में भारी भी होते हैं| एक रेगुलेटर लगभग 40 रुपये से भी कम राशि का आता हैं|

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इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर

इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर बाजार में उपलब्ध नवीनतम प्रकार के रेगुलेटर होते हैं| ये इलेक्ट्रिक रेगुलेटर की तुलना में आकार में बहुत छोटे होते हैं| इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर वोल्टेज कम करने के लिए प्रतिरोध के बजाय कपैसिटर का उपयोग करते हैं| कपैसिटर, बिजली की आपूर्ति की तरंग के विनियमन के द्वारा पंखे की गति को नियंत्रित करते है| ये गर्म नहीं होते हैं और इस प्रकार जब पंखा धीमी गति पर चल रहा होता है तो बिजली की बचत करते हैं (उच्च गति पर पंखें की बिजली की खपत दोनों रेगुलेटर के लिए एक ही होती है)| ये रेगुलेटर इलेक्ट्रिक रेगुलेटर की तुलना में 1 गति पर 40% और 2 गति पर लगभग 30% बिजली की बचत कर सकते हैं| दो प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर उपलब्ध हैं:

1. मूवेबल प्रकार: ये रेगुलेटर सुचारू रूप से चलते हैं और इनपर कोई संख्या (1-5) उपलब्ध नहीं होती है| ये रेगुलेटर इलेक्ट्रिक रेगुलेटर की तुलना में बेहतर होते हैं लेकिन फिर भी यह मोटर के चलने पर विरूपण पैदा कर सकता है जो की इसके गर्म होने का कारण बनता है| इस प्रकार के एक रेगुलेटर की लागत आमतौर पर 100 रुपये के करीब होती है|

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2. स्टेप प्रकार: इन रेगुलेटर में गति चरण (आमतौर पर 1 से 5) दिए गए होते हैं| ये रेगुलेटर मोटर के चलने पर कम विरूपण पैदा करते हैं और इस प्रकार कम गर्मी प्रदान करते हैं| ये रेगुलेटर सबसे कुशल प्रकार के होते हैं| इस प्रकार के एक रेगुलेटर की लागत आमतौर पर 200 रुपये के करीब होती है|

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यदि आप अपने घर में पंखे को कम गति पर चलाते हैं तो आपके लिए बिजली की बचत के लिए एक स्टेप प्रकार का रेगुलेटर सबसे अच्छा विकल्प है| बिजली के बिल में बचत से आप इसके लिए हुए अतिरिक्त भुगतान की कीमत को वसूल कर सकते हैं|

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सूचना का स्रोत: कोर केंद्र

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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