Unbiased Information and Reviews on Appliances, Solar and Saving Electricity

बिजली वितरक कंपनियों द्वारा संचारित एलटी, एचटी, घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक टैरिफ डिकोडिंग

By on August 27, 2015

बिजली बचाओ पर हमे अक्सर हमारे कई पाठकों के बहुत ईमेल प्रपप्त होते हैं, जिसमे वह अपने बिजली के बिल के बारे में मदद के लिए पूछते हैं| बिजली के बिल के बारे में चर्चा करते समय, हम अक्सर शब्दों का इस्तेमाल अपने वार्तालापों में करते हैं जैसे – एलटी, एचटी, घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक टैरिफ, और कैसे दरों/बिजली की टैरिफ संचारित होती हैं, लेकिन हमे इस बात का एहसास हैं कि बहुत कम लोगों को ही इन शब्दों की वास्तविक या कुछ समझ हैं| इस लेख के माध्यम से हम लोग बिजली वितरक कंपनियों द्वारा टैरिफ संरचनाओं के विभिन्न प्रकार को समझाने में अपने पाठकों की मदद करना चाहते हैं| हम यह ही बताएँगे की हर उपभोक्ता के लिए बिजली दर समान नहीं होती हैं|

एलटी (लो टेंशन) बनाम एचटी (हाई टेंशन)

टेंशन, वोल्टेज के लिए एक फ्रेंच शब्द है| एक कम तनाव लाइन, कम वोल्टेज लाइन होती है और एक हाई-टेंशन लाइन, एक उच्च वोल्टेज लाइन है| भारत में एलटी आपूर्ति तीन चरण कनेक्शन के लिए 400 वोल्ट और एकल चरण कनेक्शन के लिए 230 वोल्ट होती है। उच्च तनाव या एचटी की आपूर्ति 11 किलो वोल्ट या उसके ऊपर की जरूरत पर होती है, जो थोक ऊर्जा खरीदारों के लिए लागू होता है। अलग-अलग घरों, दुकानों, छोटे कार्यालयों और छोटे विनिर्माण इकाइयों की तरह अधिकांश छोटे उपभोक्ताओं को उनके बिजली के एलटी कनेक्शन पर बिजली/ऊर्जा प्राप्त होती हैं| एचटी बिजली के थोक खरीदारों जैसे उद्योगों (बड़ा विनिर्माण इकाइयों), बड़े कार्यालयों, विश्वविद्यालयों, हॉस्टल और यहां तक ​​कि आवासीय कालोनियों (अगर अपार्टमेंट परिसर थोक में एक साथ बिजली की खरीद करते हैं) के लिए लागू होता है। ज्यादातर राज्य वितरण कंपनियों के टैरिफ संरचना एलटी और एचटी कनेक्शंस के लिए अलग-अलग होती हैं। इस प्रकार, कुछ राज्यों में एक आवासीय परिसर, कम दरों के साथ लाभ उठा सकते हैं, अगर बिजली थोक एचटी टैरिफ में प्राप्त हुई हैं| आंतरिक रूप से, आवासीय परिसर आम आपूर्ति के माध्यम से अपने निवासियों को बिजली प्रदान कर सकते हैं|

घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक शुल्क

बिजली वितरक कंपनियां उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग दरों पर बिजली उपलब्ध कराती हैं| हर राज्य अपने राज्यों में प्रचलित कारोबार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली की दरों की विभिन्न श्रेणियाँ लाते है। लेकिन सबसे आम श्रेणियाँ  होती हैं घरेलू (आवासीय), वाणिज्यिक (दुकानों और कार्यालयों) और औद्योगिक (विनिर्माण इकाइयाँ)। यह दरे आवासीय उपभोक्ताओं के लिए निम्नतम और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए उच्चतम स्तर पर होती हैं|  इन श्रेणियों के भीतर एलटी और एचटी के लिए अलग-अलग दरे होती हैं|

तो अगर हम नीचे सूचीबद्ध करने का परया करें तो ज्यादातर राज्यों में श्रेणियाँ निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हो जाएगी:

  • घरेलू-एलटी: व्यक्तिगत आवासीय कनेक्शन के लिए
  • वाणिज्यिक-एलटी: छोटी दुकानों और कार्यालयों के लिए, इसके अलावा होटलों, अतिथि गृहों, थिएटर आदि के लिए
  • औद्योगिक-एलटी: छोटी विनिर्माण इकाइयों (बेकरी, पत्थर काटने, पोहा मिलों, आदि) के लिए
  • घरेलू- एचटी:  आवासीय कॉलोनियों के थोक आपूर्ति के लिए।
  • वाणिज्यिक- एचटी:  बड़े कार्यालयों, फिल्म स्टूडियो, आदि के लिए
  • औद्योगिक-एचटी: सबसे भारी उद्योगों के लिए।

अनेक बार, यह श्रेणियाँ भी कनेक्टेड लोड के आधार पर विभेदित होती हैं, अगर कनेक्टेड लोड अधिक होता हैं, तब बिजली शुल्कों में भी वृद्धि होती हैं|

क्रॉस सब्सिडी और विभिन्न टैरिफ की जरूरत

वैसे ज्यादातर उत्पादन, पारेषण और वितरण की लागत तो सामान रहती हैं, परन्तु फिर भी अलग-अलग उपभोक्ताओं के लिए शुल्क भी भिन्न होता हैं| उदाहरण के लिए, अगर बिजली सेवा की औसत लागत 3 रुपये/यूनिट है, तो घरेलू उपभोक्ता के लिए बिजली शुल्क 2.5 रुपये/यूनिट चार्ज किया जा सकता है और एक औद्योगिक उपभोक्ता के लिए बिजली शुल्क 3.5 रुपये/यूनिट चार्ज होना चाहिए| इस मामले में, हम यह कह सकते हैं की घरेलू उपभोक्ताओं को औद्योगिक उपभोक्ता रियायत मुहैया कराते हैं| ये क्रॉस सब्सिडीयाँ, यह सुनिश्चित करती हैं की  देश में आम आदमी बढ़ती बिजली की लागत के साथ ज्यादा बोझिल नहीं हो| उद्योग और व्यापार, उच्च बिजली की लागत का सबसे अधिक बोझ लेने में सक्षम होती हैं और विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए इस तरह के शुल्क अलग-अलग होते हैं|

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

Top