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ऊर्जा कुशल लाइट्स – सीएफएल, T5 और एलईडी का उपयोग

By on April 29, 2015

भारत में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार, प्रकाश की खपत आवासीय खपत का लगभग 30% होती हैं| आपके बिजली के बिल में इसका योगदान कुल बिल के आधार पर 10-20% तक भिन्न हो सकता हैं| हालांकि, इनका बिजली के बिल में कोई प्रमुख योगदान नहीं होता हैं, परन्तु फिर भी ऊर्जा कुशल विकल्प को लागू कर हम इनके निवेश के औचित्य की काफी हद तक साबित कर सकते हैं| वैसे भी प्रकाश लाइट्स में ऊर्जा कुशल विकल्प को लागू करना काफी सरल होता हैं|

प्रकाश में नवीनतम तकनीकी प्रगति से ऊर्जा की बचत के लिए आज हमारे पास काफी विकल्प उपलब्ध हैं| ऊर्जा की बचत वाले आज के प्रकाश व्यवस्था के विकल्प पुराने विकल्पों जैसे इन्कैंडेसेंट बल्ब और ट्यूब लाइट्स की तुलना में थोड़े महंगे जरूर होते हैं, लेकिन इनके पेबैक पीरियड, प्रयोग के आधार पर (औसत उपयोग के लिए ज्यादातर एक वर्ष से कम) दोनों पुराने विकल्पों की तुलना में काफी कम होता हैं| इसके अलावा यह अन्य पुराने विकल्पों की तुलना में कहीं बेहतर माने जाते हैं, इनका जीवनकाल भी अधिक होता हैं| इस कारण यह आज के बाजार में अधिक आकर्षक बन चुके हैं| आजकल बाजार में उपलब्ध कई प्रकाश विकल्प हैं, जिनकी हम यहाँ नीचे चर्चा कर रहे हैं:

1) इन्कैंडेसेंट बल्ब: यह पारंपरिक पीले प्रकाश बल्ब विभिन्न वेरिएंट में उपलब्ध होते हैं: 40 वाट , 60 वाट और 100 वाट| हालांकि ऊर्जा की खपत के मामले में सबसे अक्षम होते हैं| लगभग 10% ऊर्जा जिसका यह उपभोग करते हैं, वह गर्मी के रूप में ह्रास हो जाता हैं, केवल 10% ऊर्जा का ही उपयोगी प्रकाश में बदलाव होता हैं| हालांकि, यह अभी भी काफी सस्ते (10/- रुपये) हैं और यह बहुत से घरो में अभी भी इनका बहुतायत में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन निश्चित रूप से वे ऊर्जा-खाऊ उपकरण हैं| दुनिया के कई देशों ने इनका उत्पादन बंद कर दिया है| इसलिए अगर भले ही यह अभी भी अधिकांश घरो में काम करने की हालत में हो, लेकिन फिर भी लागत बचत के नजरिए से इनको ऊर्जा कुशल विकल्पों के साथ बदलना एक उचित निर्णय होता हैं|

2) ट्यूबलाइट्स: फ्लोरोसेंट लैंप इन्कैंडेसेंट बल्ब की तुलना में बेहतर माने जाते हैं और यह उतने ही प्रकाश के लिए 50-70% की ऊर्जा बचत प्रदान करते हैं| यह काफी कुछ समय से भारतीय बाजार में उपस्थित भी हैं| यह पहले तो मात्र सामान्य ट्यूबलाइट्स के रूप में ही उपलब्ध होते थे (हम में से ज्यादातर इसे ऐसे ही बचपन से ही जानते आएं हैं) और फिर यह सीएफएल के रूप में आने लगे| एक नियमित फ्लोरोसेंट लैंप में एक बलास्ट (लैंप के माध्यम से करंट को स्थिर करने के लिए) और एक ट्यूब होती हैं| अतीत में ट्यूबलाइट्स विद्युत चुम्बकीय (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक) बलास्ट के साथ आते थे जिसके कारण ट्यूबलाइट्स में रोशनी शुरू करने पर झिलमिलाहट होती थी| आज कल प्रयोग किये जाने वाले ट्यूबलाइट्स में इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट होता हैं, जिससे झिलमिलाहट नहीं होती हैं| विद्युत चुम्बकीय (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक) बलास्ट, इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट की तुलना में अधिक बिजली का सेवन करता हैं| अधिकांश ट्यूबलाइट्स में आजकल इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट होता हैं| ट्यूबलाइट्स आजकल विभिन्न वेरिएंट में भी उपलब्ध रहते हैं: टी12, टी8 और टी5| ये संख्या ट्यूबलाइट्स की घनता (मोटाई) को दर्शाती हैं| ये संख्या जितनी कम होती हैं, दक्षता उतनी अधिक मानी जाती है| इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट के साथ, टी5 ट्यूबलाइट्स बाजार में सबसे अच्छे उपलब्ध फ्लोरोसेंट ट्यूबलाइट्स विकल्प माने जातें हैं। इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट के साथ, टी12 ट्यूबलाइट्स आमतौर पर बिजली की 55 वाट की खपत करते हैं, जबकि एक टी5 ट्यूबलाइट्स मात्र 28 वाट बिजली की खपत करते हैं| यह तुलना एक ४ फीट ट्यूबलाइट पर की गई हैं| इस प्रकार एक टी5 ट्यूबलाइट, एक नियमित टी12 ट्यूबलाइट की तुलना में ५0% अधिक बिजली की बचत प्रदान करते हैं| टी8 ट्यूबलाइट्स आमतौर पर बिजली की 38 वाट की खपत करते हैं और टी12 ट्यूबलाइट्स की तुलना में बेहतर माने जाते हैं| टी5 ट्यूबलाइट्स थोड़ा महंगे जरूर होते हैं लेकिन उनका पेबैक समय (या निवेश का पैसा लौटाने का समय) एक साल के भीतर ही होता है। इसके अलावा इनका जीवनकाल भी काफी अच्छा होता है और वे कम से कम 3-4 साल के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। कई कम्पनियाँ टी8 ट्यूबलाइट्स पर 1-2 वर्ष की प्रतिस्थापन वारंटी देते हैं| इस प्रकार पेबैक समय इनके वारंटी अवधि के भीतर ही अमूमन हो जाता है।

3) सीएफएल: हमारे देश में सबसे सीएफएल काफी समय से एक अच्छे ऊर्जा की बचत के विकल्प के रूप में माने जाते है। सीएफएल फ्लोरोसेंट लैंप (या ट्यूबलाइट्स) का एक संस्करण है, लेकिन उसका उपयोग अलग होता हैं| सीएफएल प्रकाश के बिंदु (पॉइंट) स्रोत की तरह काम करते हैं (जिसमे एक बिंदु से प्रकाश निकलता है), जबकि ट्यूबलाइट्स, लाइन स्रोत के रूप में काम करते हैं (इनकी लंबाई अधिक होती है), और इस तरह इनके द्वारा कवर क्षेत्र सीएफएल की तुलना में बहुत अधिक होता है| यही कारण है की बहुत से लोगों को ऐसा लगता हैं की सीएफएल ट्यूबलाइट्स, की तुलना में कम रोशनी का उत्पादन करती हैं| यही कारण हैं की बराबर वाट क्षमता के साथ भी सीएफएल (2 * 14 वाट) द्वारा प्रकाश की मात्रा टी5 ट्यूबलाइट्स (28 वाट के) की तुलना में कम होता हैं| सीएफएल का आकार ट्यूबलाइट्स, की तुलना में कॉम्पैक्ट होता हैं जिस कारण वह छोटे एवं कम वाट क्षमता बल्ब बनाने के लिए विकल्प प्रदान करते हैं, जबकि ट्यूबलाइट्स आवश्यकता से अधिक अतिरिक्त चमक प्रदान करते हैं| सीएफएल एक नियमित इन्कैंडेसेंट बल्ब के मुकाबले लगभग 70% ऊर्जा की बचत करते हैं| यह जरूर एक नियमित इन्कैंडेसेंट बल्ब की तुलना में थोड़े अधिक महंगे होते हैं, लेकिन इनका पेबैक समय (या निवेश का पैसा लौटाने का समय) एक साल के भीतर ही होता है।

4) एलईडी: एलईडी भारतीय बाजार में उपलब्ध सबसे नवीनतम और कुशल प्रकाश विकल्प माने जाते हैं| एक ही मात्रा के प्रकाश के लिए एलईडी की बिजली की खपत सीएफएल और फ्लोरोसेंट लैंप की तुलना में 50% कम होती है| एलईडी का जीवनकाल लंबे समय (10-25 साल) तक के लिए होता हैं, और उनका जीवनकाल भी स्थायी रहता हैं| जबकि ट्यूबलाइट्स और सीएफएल समय के साथ मंद पड़ते जाते हैं| एलईडी जरूर थोड़े महंगे होते हैं और उनका पेबैक समय 2 वर्ष के भीतर होता हैं| यह रखरखाव-मुक्त भी होते है। एक बार स्थापित हो जाने के बाद, इन्हे कम से कम 10 साल के लिए मरम्मत के कारण परिवर्तन के किसी भी प्रकार की जरूरत नहीं होती हैं| एलईडी विकल्पों का निर्माण करने वाली अधिकांश कम्पनियाँ लगभग 10 साल की प्रतिस्थापन वारंटी देते हैं| जो एलईडी खरीदारी के लिए एक अधिक आकर्षक विकल्प प्रस्तुत करता हैं| एलईडी का मात्र एक ही दोष होता हैं – प्रकाश का कवर कोण| सीएफएल और ट्यूबलाइट्स 360 डिग्री पर रोशनी प्रदान करते हैं, जबकि एलईडी के लिए बल्ब का कोण इस्तेमाल रिफ्लेक्टर के प्रकार पर निर्भर करता है| कुछ एलईडी उत्पादनकर्ता जरूर कुछ बड़े कोण प्रदान करते हैं, इसलिए इस कारक की खरीदने से पहले जरूर जाँच कर लेनी चाहिए|

परंपरागत रूप से बल्ब या ट्यूबलाइट्स की वाट क्षमता ही प्रकाश की मात्रा के उत्पादन का नाप होता हैं| लेकिन वाट उत्पादित प्रकाश की वास्तविक मात्रा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं| उत्पादित प्रकाश की मात्रा का प्रतिनिधित्व ‘लुमेन’ के द्वारा होता हैं| दो प्रकाश स्रोतों की तुलना करने के लिए लुमेन और प्रकाश की डिलीवरी के कोण की तुलना करनी चाहिए, वाट क्षमता मात्र एक बिजली की खपत का अनुमान देते है।

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