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एलईडी प्रकाश बल्ब को खरीदने की गाइड

By on August 27, 2015

एलईडी प्रकाश उद्योग का नवीनतम मूलमंत्र है| जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रहीं हैं, भविष्य में एलईडी तकनीक निश्चित रूप से प्रकाश व्यवस्था के बाजार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं| छोटे बल्ब जो पहले उपकरणों के लिए शक्ति संकेतक के रूप में इस्तेमाल होते थे, अब संपूर्ण जगह को प्रकाशित करने में सक्षम साबित हो रहे हैं| तकनीकी सुधार की वजह से एलईडी निश्चित रूप से घर और कार्यालय के लिए निरंतर उपयोगी साबित हो रही हैं| हालांकि वह सीएफएल या इन्कैंडेस्केन्ट बल्बों की तुलना में जरूर महंगे हैं, लेकिन फिर भी वह ग्राहकों के लिए किफायती व सुलभ हैं| कई निर्माता प्रकाश व्यवस्था के लिए एलईडी का उपयोग करने वाले लुमिनेरेस बना रहे हैं, इनका उपयोग स्पॉट लाइटिंग, इनडोर लाइटिंग, आउटडोर लाइटिंग, स्ट्रीट लाइटिंग फ्लडलाइट्स, गार्डन लाइटिंग, सामान्य प्रयोजन लाइटिंग,  आदि के लिए होता हैं| हमारा मुख्य उद्देश्य, इस लेख/गाइड के माध्यम से आपको एलईडी के बारें में पर्याप्त जानकारी प्रदान करना हैं, ताकि आप एलईडी का सही चयन कर सके|

एलईडी क्या होती है और वह कैसे अन्य प्रकार के प्रकाश बल्बों से अलग होती है?

एलईडी  प्रकाश व्यवस्था का एक सदस्य हैं, जिसे हम सॉलिड-स्टेट लाइटिंग के नाम से भी जानते  हैं| इस प्रकार की रौशनी तब उत्पन्न होती हैं जब करंट, एक अर्द्ध (सेमी) कंडक्टर सामग्री के माध्यम से गुजरता है| इस प्रकार वे अधिक “प्रकाश” और बहुत कम ‘गर्मी’ का उत्पादन करते हैं| इसकी तुलना में एक इन्कैंडेस्केन्ट बल्ब रोशनी तब ही उत्पन्न करता हैं, जब उसका फिलामेंट गर्म हो जाता हैं| इस प्रकार यह गर्मी के रूप में अपनी बिजली का 90% निवारण करता हैं| सीएफएल या ट्यूब लाइट, तब रोशनी उत्पन्न करते हैं जब बिजली ट्यूब युक्त गैसों के माध्यम से पारित होती हैं| सीएफएल भी गर्मी का निवारण करते हैं, हालांकि वह इन्कैंडेस्केन्ट बल्ब की तुलना में अधिक एवं एलईडी की तुलना में कम होती हैं| एक अन्य प्रमुख अंतर यह हैं की, एलईडी एकलदिशा/यूनिडायरेक्शनल (अर्थार्थ वह एक विशेष दिशा में प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं) होते हैं, जबकि सीएफएल या इन्कैंडेस्केन्ट बल्ब सभी दिशाओं में प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं|

छवि स्रोत:

http://www.energystar.gov/index.cfm?c=lighting.pr_what_are#what_are

एलईडी बल्ब के विभिन्न भाग कैसे होते हैं?

एक नियमित एलईडी बल्ब,  प्रकाश व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए प्रोग्रामित होते हैं, इसके लिए वह अपने सर्किट बोर्ड पर एक या उससे अधिक एलईडी चिप्स लिए होते हैं| पूरा एलईडी मॉडल एक हीट सिंक पर जुड़ा होता हैं, जिससे उत्पन्न गर्मी का सही प्रकार प्रबंधन हो सके|

एलईडी का उपयोग करने से कौन से लाभ होते हैं?

1) एलईडी का सबसे बड़ा लाभ उसका बड़ा जीवनकाल होता है| उनका जीवनकाल अमूमन 25,000-50,000 घंटे का होता हैं| अगर एक दिन में उनका समुचित यानी 4-5 घंटे के लिए ही प्रयोग हो, तो यह आराम से 15-25 साल तक चल सकते हैं|

2) अच्छी गुणवत्ता एलईडी बल्ब रखरखाव मुक्त होते हैं|

3) कम बीम कोण वाले एलईडी बेहतर उत्पादन (चमक)/लूमेन्स प्रति वाट देते हैं (बीम कोण पर अधिक विवरण नीचे प्रस्तुत हैं)|

4) एलईडी का प्रकाश उत्पादन पूरे जीवनकाल निरंतर रहता है, सिर्फ अंत के दौरान ही वह घटता हैं|

5) एलईडी मंद होने पर भी झिलमिलाहट नहीं देते है|

6) उनमें से कुछ वारंटी के साथ आते हैं (लगभग 3-4 वर्ष तक की), इसका मतलब आपका  निवेश 3-4 साल (या वारंटी के बराबर समयकाल) के लिए लागू है|

7)  एलईडी पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं, वे मरकरी (सीएफएल में प्रयुक्त, जो की पर्यावरण के लिए हानिकारक भी होता हैं) का उपयोग नहीं करते हैं|

एलईडी की कमियां क्या हैं?

1) एलईडी यूनिडायरेक्शनल (अर्थार्थ वह एक विशेष दिशा में प्रकाश का उत्सर्जन) करते हैं| इस प्रकार वे पूरे क्षेत्र में रोशनी नहीं कर पाते हैं, एलईडी में प्रकाश व्यवस्था का सीमाक्षेत्र बढ़ाने के लिए डिफ्यूज़र और रिफ्लेक्टर का उपयोग किया जाता हैं| इस प्रकार वे स्पॉट लाइटिंग के लिए तो उत्कृष्ट होते हैं, लेकिन सामान्य उद्देश्य की लाइटिंग के लिए थोड़ा ही लाभ देते हैं|

2) हालांकि एलईडी चिप्स का लंबा जीवनकाल होता है, लेकिन एलईडी बल्बों का जीवन इस बात पर भी निर्भर करता हैं की सर्किट बोर्ड और हीट सिंक की डिजाइनिंग कितनी अच्छी तरह से की गई हैं| एक खराब डिजाइनिंग या निम्न स्तर का एलईडी बल्ब, जिसमे सही हीट सिंक और कैपासिटर्स का उपयोग न हुआ हो, वह लगभग एक वर्ष से अधिक समय तक नहीं चल सकता हैं| अधिक जानकारी हेतु: http://www.electronicsweekly.com/blogs/led-lights/2009/02/led-life-expectancy.html)|

कई देशों में एलईडी बल्ब उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकित होते हैं| भारत में, एक  बेहतर  एलईडी बल्ब की खरीद या फिर वह एलईडी जो लंबे समय की वारंटी के साथ आता हो, अगर  ख़रीदा जाये, तो यह बेहतर निर्णय होगा|

एलईडी बीम कोण क्या होते हैं और उनका कैसे उपयोग होता हैं?

जैसा कि हमने ऊपर भी कहा हैं की, एलईडी यूनिडायरेक्शनल होते हैं या एक विशेष दिशा में ही प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं| इसलिए यह महत्वपूर्ण है की हम एलईडी का प्रयोग करने से पहले, उसके प्रकाश के फैलाव का सही अंदाज़ा लगाएं| इस फैलाव को बीम कोण के रूप में उल्लेखित किया जाता हैं| बाजार में उपलब्ध नियमित बीम कोण हैं – 15, 30, 45, 60 और 100 (कुछ बीम कोण 120 एवं 180 कोण के भी आतें हैं)| 30 से कम बीमकोण स्पॉट लाइट्स के लिए बहुत ही अच्छे माने जातें हैं| उनके प्रति वाट उत्पादन (चमक) या लूमेन्स बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों के मुकाबले उच्चतम होती है| उनमें से अधिकांश कम से कम 5 वाट की क्षमता  के होते हैं और उनका घरों एवं दुकानों में विशिष्ट सजावटी प्रकाश व्यवस्था में उपयोग होता हैं| एक या एक से अधिक एलईडी का उपयोग दीवारों पर रोशनी करने के लिए होता हैं, 30 से अधिक कोण वाले बीमकोण का उपयोग उच्च शक्ति एलईडी लैंप में होता हैं| आमतौर पर यह डाउन लाइटिंग के लिए उपयुक्त होते हैं| उनको एक कमरे के क्षेत्र को रोशन करने के लिए छत पर रखा जा सकता है| वे आम तौर पर 5 वाट या उससे अधिक रेटिंग के होते हैं,  और उनका उपयोग दुकानें में होता हैं, जहाँ केंद्रित प्रकाश व्यवस्था की अत्यंत जरूरत होती हैं| यह कार्यशालाओं में भी प्रयुक्त होते हैं, जहां एक विशिष्ट कार्य किया जाना है या एक विशिष्ट क्षेत्र को सजावटी प्रकाश व्यवस्था के साथ सुसज्जित करना हो| एक या अधिक ऐसी एलईडी को स्पॉटलाइट के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता हैं| एक 30 डिग्री से अधिक बीम कोण का एलईडी आमतौर पर डाउनलाइटिंग के लिए इस्तेमाल किये जातें हैं, जहाँ उनका उपयोग उच्च शक्ति एलईडी लैंप के रूप में होता हैं| वे एक कमरे के एक प्रमुख क्षेत्र को रोशन करने के लिए रखे जातें हैं, जैसे  वह  छत पर भी रखे जा सकते हैं| वे आम तौर पर 5 वाट रेटिंग से अधिक होते हैं, और ऐसे कई एलईडी एक कमरे को रोशन करने के लिए कई डाउन लाईटर्स के द्वारा इस्तेमाल किये जातें हैं|

एक 30-45 डिग्री बीम कोण का एलईडी तब अच्छा होता हैं, जब छत ऊंची (10-11 फुट से अधिक) हो| अगर छत उसकी तुलना में कम ऊची हैं तब 60-100 डिग्री बीम कोण वाले एलईडी का उपयोग करना चाहियें |आवश्यकता के आधार पर, ऐसे कई डाउन लाईटर्स इस्तेमाल किये जा सकते हैं और उचित प्रकाश व्यवस्था पाने के लिए उनको एक दूसरे से 3-4 मीटर दूरी पर रखना चाहिए|

कम बीम कोण वाले एलईडी आउटडोर प्रकाश व्यवस्था जैसे की स्ट्रीट लाइटिंग के लिए उपयुक्त होते हैं| वह बहुत अधिक बिजली का उपभोग करने वाले हैलोजन के लिए उत्कृष्ट प्रतिस्थापन माने जातें हैं| इसलिए हाउसिंग सोसायटी एलईडी स्ट्रीट लाइट का उपयोग करके लाभ उठा सकते है|

हम रिफ्लेक्टर और डिफ्फुज़र्स के माध्यम से बीम कोण में वृद्धि भी कर सकते हैं, हालांकि इसमें सबसे बड़ा दोष यह है कि इस व्यवस्था से लूमेन्स (या चमक) में कमी आती हैं| इस प्रकार एक उच्च बीम कोण वाला एलईडी बल्ब एक सामान वाटऐज के सीएफएल से सिर्फ थोड़ा ही ज़्यादा ही चमक देता है|

कैसे बाजार में उपलब्ध कुछ एलईडी बल्ब का बीम कोण 120 से अधिक होता हैं?

बाजार में उपलब्ध कई एलईडी बल्ब, प्रकाश फैलाने के लिए डिफ्फुसोर्स का उपयोग करते हैं| इससे वह एक बड़े कोण पर प्रकाश को फैलाने में समर्थ होते हैं| इससे यह सुनिश्चित होता हैं की रोशनी पूरे कमरे में फैले और उसकी चमक भी, समान वाट क्षमता वाले सीएफएल बल्ब से थोड़ी ज़्यादा हो|  ये आम तौर पर सीएफएल और इन्कैंडेस्केन्ट बल्बों के स्थानापन्न के रूप में तैयार किये जातें हैं| इन बल्बों का मुख्य लाभ यह हैं की यह लंबे समय तक चलने में समर्थ होने के  साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी होते है|

उचित एलईडी खरीद में किन विभिन्न कारकों का ध्यान रखना चाहिए?

जैसा की हमने अपने लेख में ऊपर भी चर्चा की हैं, कार्य आधारित प्रकाश व्यवस्था आपके एलईडी बल्ब का रंग, आपके मूड एवं कक्ष में स्थापित तापमान के आधार पर होता हैं| स्थापित तापमान के आधार पर, एलईडी बल्ब विभिन्न रंगो में उपलब्ध होते हैं जैसे कूल डेलाइट (श्वेत) से वार्म व्हाइट (पीला)| इसलिए अपने मूड के आधार पर ही सही एलईडी बल्ब के रंग का चयन महत्वपूर्ण होता हैं|

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सन्दर्भ

http://www.energystar.gov/index.cfm?c=lighting.pr_what_are#what_are

http://en.wikipedia.org/wiki/Light-emitting_diode

http://en.wikipedia.org/wiki/Solid-state_lighting

http://news.cnet.com/8301-11128_3-20023357-54.html

http://www.electronicsweekly.com/blogs/led-lights/2009/02/led-life-expectancy.html

http://www.led-depot.com.au/beam-angles/

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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