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पावर फैक्टर सुधार क्या होता हैं और आप एमडीआई (मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर) शुल्क से कैसे बच सकते हैं

By on August 27, 2015

आप अगर एक कार्यालय या दुकान के मालिक हैं, और आपको व्यावसायिक कनेक्शन पर 20 kW से अधिक बिजली मिलती है, तो आपने पावर फैक्टर पेनाल्टी और/या डिमांड चार्जेज के बारे में ज़रूर सुना होगा| क्या आपने कभी सोचा कि पावर फैक्टर पेनाल्टी या डिमांड चार्जेज क्या होते हैं? क्या आपने कभी एमडीआई (या मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर) नामक पेनल्टी अथवा शुल्क दिया हैं| एमडीआई (या मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर), हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में कमर्शियल कनेक्शन में उपयोग किये जाने वाले व्यंजक/शब्द हैं, लेकिन शायद बहुत ही कम लोगों को इस तकनीकी शब्दावली की वास्तविक समझ है| अगर आप इस तकनीकी शब्दावली को गहराई से समझना चाहते है, और ऐसे करों से भविष्य में बचना चाहते हैं, तो निश्चित रूप से इस लेख के द्वारा हमारे प्रयास से आपको काफी मदद मिलेगी|

पावर फैक्टर या पावर फैक्टर पेनल्टी क्या होते हैं?

क्या आपके साथ कभी ऐसा घठित हुआ है कि, आपने एक कप कॉफी का आदेश दिया हो और बदले में आपको मात्र 75% कॉफी और 25% झाग वाला कॉफी कप मिला हो, परन्तु भुगतान आपसे पूरे कॉफी कप के बराबर लिया गया हो| एक दूसरे परिप्रेक्ष्य में आप पानी की एक बोतल ख़रीदे, और भुगतान उसकी पूरी क्षमता का ही करें, जिसमे झाग बिल्कुल भी न हो| इसप्रकार, हम यहाँ भुगतान के दो परिप्रेक्ष्यो का ज़िक्र कर रहे हैं|

इसीप्रकार बिजली के भी २ प्रकार के भार होते हैं: रेसिस्टिव (प्रतिरोधक) भार, (जैसे पानी के हीटर, कोआएल हीटर, आदि) और इन्दुक्टिव भार (जैसे सीलिंग फैन, पंप, एयर कंडीशनर्स, रेफ्रिजरेटर्स, आदि, ऐसे उपकरण जिनमे मोटर होता हो)| ऊपर परिप्रेक्ष्य की तुलना में, रेसिस्टिव भार, पानी के गिलास की तरह हैं, आपने जितना माँगा आपको उतना ही मिला, लेकिन इन्दुक्टिव भार कॉफी कप के भाति हैं, जहाँ बिजली आपूर्ति की कुल ऊर्जा चुंबकीय क्षेत्र के रूप में बेकार हो जाती हैं| बिजली आपूर्ति की कुल ऊर्जा को चुंबकीय क्षेत्र बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जो ऊपर परिप्रेक्ष्य में झाग की तरह है| चुंबकीय क्षेत्र भी झाग की भाति किसी उपयोगिता का नहीं होता हैं, क्यूंकि वह कोई “वास्तविक काम” नहीं कर रहा होता है| आपको मिला “वास्तविक काम/उत्पाद” और बिजली वितरक कंपनी द्वारा प्रदान की गई कुल ऊर्जा आपूर्ति के अनुपात को “पावर फैक्टर” कहा जाता है|

तो ऊपर हमारे द्वारा दिए गए उदाहरण में, एक पूरा कॉफी का कप होता हैं, लेकिन जिसमे आपको वास्तव में मात्र 75% ही कॉफी मिलती हैं, जिसके कारण आपका पावर फैक्टर 0.75 हो जाता हैं| इसी प्रकार, यदि आपके पास 1 एचपी (हॉर्स पावर) की एक मोटर है, जो 745 वाट पर चलती है, और अगर इसका पावर फैक्टर 0.75 है, तो बिजली वितरक कंपनी को कुल ऊर्जा 1/0.75 = 1.33 एचपी (हॉर्स पावर) की आपूर्ति करनी पड़ेगी| 0.33 एचपी की ऊर्जा, मोटर में चुंबकीय क्षेत्र बनाने में नष्ट हो जाएगी|

यदि पावर फैक्टर १ या उसके करीब हैं, तो १ एचपी मोटर १ एचपी ऊर्जा ही बिजली वितरक कंपनी (यूटिलिटी) से लेगी| क्यूंकि ऊपर उदाहरण में, अगर एचपी मोटर यूटिलिटी से अधिक ऊर्जा लेती हैं, तो वैसी स्थिति में आपको अधिक कर देना पड़ता हैं, जिसको पावर फैक्टर पेनल्टी कहते हैं| इस सूत्र को आप ऐसे परिभाषित करते हैं:

 

पावर फैक्टर = kW (किलोवाट)/kVA (किलोवोल्ट एम्पेयर)

 

आप पावर फैक्टर पेनल्टी से कैसे बच सकते हैं?  

पावर फैक्टर की क्षमता को कुशल उपकरणों पर स्विच कर सुधारा जा सकता हैं|  कुशल उपकरण प्रति इस्तेमाल ऊर्जा इकाई (VA) पर अधिक उत्पादन (W) देते हैं| तो ऊपर दिए उदाहरण, में जैसे आप अपना नुकसान कम करने के लिए कम झाग देने वाली कॉफ़ी मेकर पर स्विच कर सकते हैं| इसीतरह आप कम इंडक्टिव भार उपकरणों पर भी स्विच कर सकते हैं|

एक अन्य तरीके से भी आप इस समस्या को ठीक कर सकते हैं: कपैसिटर बैंक को (जिसे कई स्थानों पर विद्युत सेवर्स के रूप में भी बेचा जाता हैं) स्थापित करके| कपैसिटर बैंक, इंडक्टिव भार से पूर्णतः विपरीत होते है| कपैसिटर भार समानांतर लगकर इंडक्टिव भार को काफी हद तक प्रतिवादित करते हैं| पावर फैक्टर की क्षमता को, कपैसिटर बैंक की स्थापना के द्वारा 1 इकाई या कम से कम 0.99 इकाई तक बढ़ाया जा सकता है|

डिमांड चार्ज और एमडीआई पेनल्टी क्या होते हैं?

ऊपर के उदाहरण में आप केवल कॉफी के 1 कप के लिए हकदार थे, लेकिन आपको वास्तविकता में मात्र 3/4 कॉफी ही मिली, और जिससे आप संतुष्ट नहीं थे| आपको और अधिक कॉफी के लिए पूछना पड़ा| अगर कॉफी अलग अलग भागों में समान रूप से सीमित मात्रा में वितरित हैं, तो आपको अतिरिक्त कप के लिए भी अधिक भुगतान करना होगा|

अगर आप एक बिजली वितरक कंपनी से व्यावसायिक बिजली कनेक्शन के लिए पंजीकरण करते हैं, तो आपको अधिकतम (KVA में) “मांग” को निर्देशित करना पड़ता हैं| अगर उस महीने आपका अपभोग अपनी अधिकतम निर्देशित की हुई “मांग” से अधिक हो जाता हैं, तो आपको उसी के लिए अतिरिक्त कर का भुगतान करना पड़ता हैं| इसी को एमडीआई पेनल्टी कहते हैं|

आप कैसे एमडीआई पेनल्टी से बच सकते हैं?

1) यदि पावर फैक्टर 1 से कम है, तो आप अपना पावर फैक्टर बढ़ा कर अपना केवीए (KVA) उपभोग काम कर सकते हैं| इससे यह सुनिश्चित होता हैं कि, आप बिजली वितरक कंपनी द्वारा आपूर्तित की गई केवीए को बर्बाद नहीं कर रहे हैं|

2) यदि पावर फैक्टर 1 हैं, तो इसका मतलब यह है कि आपके उपकरण, आपके द्वारा साइनअप (उल्लेखित) किये गए करार से, कही अधिक किलोवाट (KW) या केवीए (KVA) का उपयोग कर रहे हैं| ऐसे में आप कुशल उपकरणों पर स्विच कर अपना केवीए (KVA) का उपभोग काम कर सकते हैं| इस प्रकार आपकी कुल जरूरत,  कुल मांग से मेल खायेगी| हालांकि, अगर आपको लगता हैं की आप सबसे कुशल उपकरणों का पहले से ही इस्तेमाल कर रहे हैं, तब आप आवंटित अधिकतम मांग बढ़ाने के लिए अपनी बिजली वितरक कंपनी से अनुरोध कर सकते हैं|

3) एमडीआई पेनल्टी से बचने के लिए एक और विकल्प है – पीक लोड का स्थानांतरण, दिन के उस समय जब बिजली लोड कम होता है, उस वक़्त लोड का स्थानांतरण कर के| उदाहरण के लिए, एक थर्मल स्टोरेज सिस्टम आपके एयर कंडीशनर लोड को दिन के वक़्त से रात्रि के वक़्त शिफ्ट कर सकते हैं| एक थर्मल स्टोरेज सिस्टम, एक बैटरी की तरह होता हैं, जो थर्मल ऊर्जा का संचयन करती हैं| इसको रात्रि में चार्ज कर, और दिन के समय के दौरान एयर कंडीशनर के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है|

पावर फैक्टर और एमडीआई आवासीय (रेजिडेंशियल) ग्राहकों को क्यों प्रभावित नहीं करते?

आवासीय (रेजिडेंशियल) ग्राहकों के लिए ऊर्जा केवीए (KVA) पर नहीं, बल्कि किलोवाट (KW) पर चार्ज की जाती हैं| इस मतलब, आवासीय ग्राहकों को केवल “वास्तविक इस्तेमाल ऊर्जा” पर ही शुल्क देना पड़ता हैं, और ना की कुल बिजली आपूर्ति पर (जिस प्रकार ऊपर दिए उदाहरण में कॉफी की वास्तविक मात्रा के लिए भुगतान होना चाहिए और न की एक पूरे झाग वाले कॉफी कप के लिए भुगतान)|  इस प्रकार पावर फैक्टर और एमडीआई आवासीय ग्राहकों को प्रभावित नहीं करते हैं| अगर बिजली वितरक कंपनी “कुल” आपूर्तित ऊर्जा के लिए अपने उपभोगताओं को चार्ज करने का फैसला करले, तब जरूर आपको पावर फैक्टर और एमडीआई के बारे में चिंता करने की ज़रूरत होगी, अन्यथा नहीं|

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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