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वोल्टेज स्टेबलाइजर्स : कार्य, आकार नियंत्रण और बिजली की खपत

By on November 27, 2014

भारत में ज्यादातर स्थानों पर बिजली की आपूर्ति अनिश्चित ही रहती है| अक्सर कई स्थानों में, वोल्टेज दोनों दिशाओं (अप और डाउन) में अस्थिर रहता हैं| ये वोल्टेज के उतार चढ़ाव वहां के उपकरणों को भी काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं| जब वोल्टेज नीचे चला जाता है, उपकरण में विद्युत प्रवाह की वृद्धि होती हैं, जिसके कारण उपकरणों के जलने की सम्भावना भी बढ़ जाती हैं| परिणामस्वरुप, भारत में कई घरों और कार्यालयों में वोल्टेज स्टेबलाइजर्स की मांग आये-दिन काफी बढ रही हैं| हम इस लेख में वोल्टेज स्टेबलाइजर्स के बारे में बात करेंगे: वे क्या करते हैं, वे कितना बिजली उपभोग करते हैं और उनका सहीं चुनाव कैसे किया जाए|

वोल्टेज स्टेबलाइजर्स क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं?

जैसे की उनका नाम दर्शाता हैं वोल्टेज स्टेबलाइजर्स, वोल्टेज उतार चढ़ाव को स्थिर करते हैं, इसका मतलब यह है की जैसे ही वोल्टेज आपूर्ति तेजी से घटती-बढ़ती है, तब वोल्टेज स्टेबलाइजर्स उसे एक वांछित रेंज में लाकर स्थिर करते हैं| वोल्टेज स्टेबलाइजर्स चुम्बकीय नियामकों (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेगुलेटर्स) के माध्यम से ऐसा कर पाने में समर्थ होते हैं| यह चुम्बकीय नियामक ऑटोट्रांसफोर्मेर्स एवं परिवर्तकों का उपयोग करके वोल्टेज आपूर्ति को स्थिर करते हैं|  अगर वोल्टेज उत्पादन स्वीकार्य सीमा में नहीं होता हैं, तब यह तंत्र ट्रांसफार्मर के द्वारा अतिरिक्त वोल्टेज को स्थानांतरित करके वोल्टेज उत्पादन को स्वीकार्य सीमा में लाता हैं| हालांकि, यह एक निरंतर वोल्टेज उत्पादन भले ही न दे, परन्तु एक सुरक्षित वोल्टेज सीमा में प्रणाली को संचालित जरूर करता हैं|

एक सही आकार स्टेबलाइजर का चुनाव कैसे करें?

एक स्टेबलाइजर के आकार का निर्धारण करना, एक यूपीएस या इन्वर्टर (बिजली बैकअप) के आकार निर्धारण के समान है| सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, स्थिरता प्राप्त करने के लिए स्टेबलाइजर कितने लोड से जुड़ा हुआ है| सबसे पहले आप सभी उपकरणों (जो स्टेबलाइजर से जुड़े हुए हैं) के लिए ऊर्जा (या कुल वाट) का पता लगाये| इन उपकरणों द्वारा कुल बिजली की खपत (या वाट) का कुल योग हमे स्टेबलाइजर पर पूरे लोड के बारें में सही जानकारी देगा| यह कुल योग वाट में ही होगा| लेकिन, अधिकतर स्टेबलाइजर का आकार वोल्ट एम्पीयर (वीए) या केवीए (किलो वोल्ट एम्पीयर) में होता हैं| एक केवीए, 1000 वीए के बराबर होता हैं| यद्यपि, वीए की वास्तविक गणना करने के लिए हमे कुछ माप (मेज़रमेंट) करना होगा, पर वाट्स को 20 फीसदी बढ़ा कर हमे वोल्ट एम्पीयर की एक निकटस्थ इकाई मूल्य जरूर मिल सकता हैं|  उदाहरण के लिए, अगर स्टेबलाइजर से जुड़े सारे उपकरणों की ऊर्जा का कुल योग 1000  वाट हैं, तब हम स्टेबलाइजर का इकाई मूल्य 1200 वीए या 1.2 केवीए गण सकते हैं| (हालांकि, ध्यान देने की बात यह है कि, वाट्स को 20 फीसदी बढ़ा कर वोल्ट एम्पीयर की गणना करना केवल आवासीय व्यवस्था के लिए उपयुक्त है, उद्योगों में पावर फैक्टर कम होता हैं तो यह अंदाजा वहाँ काम नहीं आ सकता)|

क्या विभिन्न प्रकार के सिंगल फेज और थ्री फेज वोल्टेज स्टेबलाइजर्स होते हैं?

जी हां, वे अलग-अलग होते हैं| एक थ्री फेज वोल्टेज स्टेबलाइजर, वहां जरूरी होता हैं, जहाँ  थ्री फेज मोटर या एक पूर्ण थ्री फेज सेटअप के लिए वोल्टेज स्थिर रखने की आवश्यकता हो| घरों में इस्तेमाल हो रहे सभी उपकरण सिंगल फेज वोल्टेज स्टेबलाइजर पर काम कर सकते हैं, और एक थ्री फेज वोल्टेज स्टेबलाइजर का आवासीय उपयोग तब तक आवश्यक नहीं हैं, जब तक हम पूरा घर का वोल्टेज स्थिर करने के लिए थ्री फेज कनेक्शन न लेले| पूरे घर के लिए स्टेबलाइजर्स का प्रयोग अनुशंसित नहीं है, क्यूंकि स्टेबलाइजर्स भी बिजली की खपत करते हैं और पूरे घर के लिए उनका इस्तेमाल करके हम 24 घंटे में हो रहीं बिजली खपत में केवल बढ़ोतरी ही करते हैं|  इसके बजाय स्टेबलाइजर का उपयोग विशिष्ट उपकरणों के लिए ही हो और उपकरणों के प्रयोग में न होने पर उपकरणों के साथ स्टेबलाइजर को भी बंद कर दिया जाना चाहिए|

वोल्टेज स्टेबलाइजर्स कितनी बिजली का उपभोग करते हैं?

वोल्टेज स्टेबलाइजर्स की कुल बिजली खपत उसकी कार्यकुशलता पर निर्भर करता है| आमतौर पर वे 95-98% कुशल होते हैं, जिसका अर्थ यह है की, वे 2-5% के मैक्सिमम लोड की खपत करते हैं|  इसलिए यदि आपके पास 1 केवीए (या 1000 वीए) स्टेबलाइजर हो तब वह करीब 50 वाट (पीक लोड पर) की बिजली खपत करेगा| इसका मतलब, 1 केवीए स्टेबलाइजर, अगर 10 घंटे तक चला हो तब वह बिजली की 0.5 इकाई (या kwh) की खपत करेंगा| इस प्रकार 24 घंटे के लिए उसे खुला छोड़ने पर काफी मात्रा बिजली की खपत हो सकती हैं|

क्या आधुनिक रेफ्रिजरेटर/एयर कंडीशनर अन्तर्निहित वोल्टेज स्टेबलाइजर्स के साथ निर्मित होते हैं?

आधुनिक उपकरण (जैसे रेफ्रीजिरेटर और एयर कंडीशनर्स) वोल्टेज की बड़ी रेंज के साथ आते हैं| पहले, एक रेफ्रिजरेटर 200-240 वोल्ट के बीच ही अच्छी तरह से काम कर पाते थे, वह वोल्टेज स्टेबलाइजर्स के साथ निर्मित भी नहीं होते थे| अब वे 100-290 वोल्ट की एक बड़ी रेंज के साथ आते हैं| इसलिए आपके क्षेत्र में अगर वोल्टेज अस्थिरता अधिक रहती हैं, तब इस तरह के उपकरणों के साथ वोल्टेज स्टेबलाइजर का उपयोग करना बहुत लाभदायक होता हैं|

निष्कर्ष

हमेशा एक सही आकार का वोल्टेज स्टेबलाइजर का ही चयन करें और उसे केवल विशिष्ट उपकरणों के लिए उपयोग करें, न की पूरे घर के उपयोग के लिए| उनको लंबी अवधि के लिए भी “ओन” नहीं छोड़ना चाहिए और उपकरण का उपयोग हो जाने के पश्चात स्टेबलाइजर को बंद भी कर देना चाहिए, अन्यथा बिजली के बिल में अनावश्यक वृद्धि होती हैं|

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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