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एयर कंडीशनर और फ्रिज के लिए इस्तेमाल योग्य विभिन्न रेफ्रिजरेंट्स की तुलना (R-410A, R-22, R-290, R-134A)

By on August 28, 2015

1990 वाले दशक के दौरान, हम सीएफसी (या क्लोरोफ्लोरोकार्बन) और ओजोन परत की नि:शेषीकरण (डेपेलेशन) में उसकी भागीदारी के बारें में, बहुत कुछ सुनते थे| उस वक़्त ऐसी भी काफी चर्चा होती थी कि सभी पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाले रेफ्रिजरेंट्स, को चरणबद्ध तरीके से कैसे बाहर किया जाए| इसलिए, इतने वर्षो बाद यह जिज्ञासा स्वतः उठना बड़ा ही स्वाभाविक है कि, रेफ्रीजिरेटर और एयर कंडीशनर, जो आजकल ख़रीदे जा रहे हैं, उनमे पर्यावरण अनुकूलित रेफ्रिजरेंट्स हैं या नहीं| हालांकि, शोध करने से पहले, हमारे मन में यह प्रकल्पना तो थी कि शायद अब तक पर्यावरण को नुकसान करने वाले रेफ्रिजरेंट्स चरणबद्ध तरीके से बाहर कर दिए गयें होंगे| लेकिन क्या हमारा यह अनुमान सही है? या हम अब वास्तव में इसकी परवाह करते भी हैं या नहीं? यह जानने के लिए हमने यह निश्चित किया की हम इस लेख के द्वारा भारतीय बाजार में उपलब्ध विभिन्न एयर कंडीशनर और फ्रिज में उपयोग किये जाने वाले रेफ्रिजरेंट्स पर शोध करेंगे|

रेफ्रिजरेंट्स क्या होते हैं?   

एक रेफ्रिजरेंट्स, एयर कंडीशनर और फ्रिज में प्रयोग किया जाने वाला तरल पदार्थ होता है| वह फ्रिज के अंदर से (या एसी वाले कमरे से) गर्मी लेकर वातावरण में बाहर फेंकता हैं| एक रेफ्रिजरेंट्स फेज परिवर्तन के सिद्धांत पर आधारित होता हैं| वह पहले तो तरल स्थिति में होता हैं, फिर वो  गर्मी अवशोषित कर गैस में परिवर्तित होता हैं, और जब कंप्रेसर पुनः उसे कंप्रेस करता हैं, तो वह वापस तरल रूप में परिवर्तित हो जाता हैं| एक आदर्श रेफ्रिजरेंट्स निम्नलिखित कारको पर आधारित होता हैं – अनुकूल थर्मोदयेनामिक गुण, गैर-संक्षारक प्रकृति, और सुरक्षा (गैर विषैले व गैर ज्वलनशील)| हालांकि, कई तरल पदार्थ रेफ्रिजरेंट्स के रूप में इस्तेमाल किये जातें हैं, लेकिन 20 वीं सदी में सीएफसी रेफ्रिजरेंट्स सबसे लोकप्रिय थे|

पुराने और आधुनिक रेफ्रिजरेंट्स   

अतीत में सीएफसी रेफ्रिजरेंट्स, सबसे आम और मश्हूर रेफ्रिजरेंट्स थे| इनको ‘फ्रीऑन’ भी कहा जाता था| फ्रीऑन ड्यूपॉन्ट नामक कंपनी द्वारा उत्पादित “R-12” रेफ्रिजरेंट्स का ब्रांड नाम था| 1990 और 2000 के दशक में, उपयोग में सीएफसी को एचसीफसी (हाइड्रो-क्लोरो-फ्लुओरोकार्बोन) के साथ परिवर्तित कर दिया गया हैं, जिसमे “R-22” सबसे आम एचसीफसी होता हैं| एचसीफसी, आज भी बाजार में उपलब्ध अधिकांश एयर कंडीशनरों में बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है|

लेकिन एचसीफसी, सीएफसी की तुलना में मात्र मामूली रूप से ही बेहतर होते हैं| एचसीफसी भी पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं| क्यूंकि वे भी क्लोरीन युक्त होते हैं, और क्लोरीन पर्यावरण के लिए  हानिकारक होती हैं, हालांकि क्लोरीन की  मात्रा सीएफसी की तुलना में कम होती हैं|  रेफ्रिजरेंट्स में से क्लोरीन का प्रभाव कम करने के लिए निर्माताओं ने एक और रेफ्रिजरेंट्स इज़ात किया हैं, जिसे हम एचएफसी (या हाइड्रो-फ्लूरो-कार्बन) कहते हैं| हालांकि, उनमे भी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता होती  है, परन्तु वे एचसीफसी से बेहतर माने जाते हैं| एयर कंडीशनरों में इस्तेमाल किया जाने वाला, सबसे आम एचएफसी हैं, R-401A| यह रेफ्रिजरेंट्स R-22 की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए मात्र बेहतर ही नहीं, बल्कि अधिक ऊर्जा कुशल भी होते है| अधिक ऊर्जा कुशल एयर कंडीशनर R-401A रेफ्रिजरेंट्स का ही इस्तेमाल करते हैं| जैसे ही भारत में ऊर्जा दक्षता के मानकों में सुधार होगा, हम देखेंगे की अधिक एयर कंडीशनर R-401A रेफ्रिजरेंट्स का ही उपयोग करेंगे|

एक और रेफ्रिजरेंट्स जो सामान्यतः रेफ्रिजरेटर में प्रयोग किया जाता है, वह हैं R-134A| इसके अलावा, एक और रेफ्रिजरेंट्स जिसको भारत में निर्माताओं द्वारा बनाने व उपयोग करने की कोशिश की जा रही है, वह हैं “R-290”, जो की एक हाइड्रोकार्बन “प्रोपेन” आधारित होता है| यह पूरी तरह से हैलोजन मुक्त और ओजोन रिक्तीकरण क्षमता विहीन होता है| इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग करने वाले कुछ ब्रांड्स इसे 7 स्टार मॉडल के रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं (हालांकि, इसका मतलब यह नहीं हैं, की बीईई 7 स्टार रेटिंग प्रस्तुत करता हो, वास्तव में बीईई  7 स्टार रेटिंग देती ही नहीं हैं)| इनमे निश्चित रूप से उच्च ऊर्जा दक्षता क्षमता होती हैं, लेकिन यह अत्यधिक ज्वलनशील भी होते है| इसलिए, इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग अत्यंत सुरक्षित माहौल में ही होना चाहिए| परन्तु, इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग करने वाले एयर कंडीशनर की लागत नियमित एयर कंडीशनरो से अधिक होती हैं|

निष्कर्ष

अगर आप ऊर्जा दक्षता, ग्लोबल वार्मिंग और सुरक्षा के बारे में परवाह करते है, तो आपको एक R-134A रेफ्रिजरेंट्स युक्त फ्रिज और R-410A रेफ्रिजरेंट्स युक्त एयर कंडीशनर का ही चुनाव करना चाहिए| उम्मीद है कि कड़े मानकों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर प्रगति के साथ, हमे भविष्य में और बेहतर रेफ्रिजरेंट्स देखने को मिलेंगे|

सन्दर्भ  

http://www.emersonclimate.com/asia/en-AP/WhitePapers/6051-R410A-WhtPaper_9.pdf

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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