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भारत में एयर कूलर – प्रौद्योगिकी, क्षमता, ब्रांड और मूल्य

By on August 27, 2015

यदि आप गर्मी को परास्त करना चाहते है, लेकिन साथ ही आप कोई ऐसा किफायती और कारगर तरीका भी ढूंढ रहे हैं, तो एयर कूलर आप के लिए सबसे अच्छा विकल्प सिद्ध होगा| आज कई अलग-अलग प्रकार के विभिन्न ब्रांड के एयर कूलर बाजार में उपलब्ध हैं – जैसे की रूम कूलर (शयनकक्ष, छोटे कार्यालयों के लिए इस्तेमाल होता है), डक्ट कूलर (केंद्रीय हवा ठंडा करने के लिए इस्तेमाल होता है), जम्बो कूलर (बड़े हॉल, बड़े कार्यालयों के लिए इस्तेमाल होता है), आदि एयर कूलर होते हैं जो क्षेत्र के आधार पर ठंडा करते है| यह सभी एक ही बुनियादी सिद्धांत पर काम करते हैं|

एयर कूलर का कार्य :

आज उपलब्ध अधिकांश कूलर बाष्पीकरणीय के सिद्धांत पर आधारित कूलर हैं, जो की ‘स्वाम्प’ कूलर या ‘डेजर्ट’ कूलर के नाम से जाने जाते हैं| इन कूलरों में बाहर की गर्म हवा, पानी के ऊपर से गुजरती है| पानी बाहर की हवा से ऊष्मा लेकर वाष्पित हो जाता है|इस प्रकार ऊष्मा के विनिमय के कारण हवा का तापमान कम हो जाता है, जिससे यह अपेक्षाकृत ठंडा हो जाता है| तदोपरांत ठंडी हुई हवा कमरे के अंदर जाती है| जब यह प्रक्रिया लगातार दोहराई जाती है, कमरे का समग्र तापमान कम हो जाता है, तब यह गर्मी के दिनों में एक सुखद अहसास देते है| एक पंखे की मदद से बाहर की हवा कूलर तक लायी जाती है, जहां यह ठंडे पैड से होकर गुज़रती है| पानी का वाष्पीकरण इन शीतलन पैड के भीतर होता है| एक पंप, ठंडे पैड के शीर्ष पर पानी लाने के लिए प्रयोग किया जाता है और फिर पैड के माध्यम से मिलाया जाता है| कूलर का काम केवल पानी का वाष्पीकरण करना होता है, पर्यावरण के अनुकूल यह किसी भी जगह को ठंडा करने का सबसे अच्छा तरीका है| यहाँ ठंडी गैसों की कोई भागीदारी नहीं है और इसलिए अब आप ग्लोबल वार्मिंग में भाग लिए बगैर अपने आप को ठंडा महसूस कर सकते हैं!

कूलर खरीदने के समय ध्यान देने योग्य बातें:

एयर कूलर खरीदने पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण बातें:

1) सही आकार का खरीदें| नीचे CFM की गणना को देखें|

2) हनीकांब वाले पैड बेहतर होते हैं|

3) जस्ती इस्पात के शरीर वाला कूलर अधिक दक्ष और दीर्घायु होते है|

4) एयर कंडीशनर की तुलना में अत्याधिक कुशल|

5) यदि आप एक उमस वाले शहर में हैं, तो उमस नियंत्रण की सुविधा के लिए देखो|

कूलर की कार्य कुशलता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कमरे के आकार के अनुसार ही सही आकार वाले कूलर का उपयोग व चयन हो| कूलर का आकार, एक इकाई CFM (घन फुट प्रति मिनट) के द्वारा निर्धारित किया जाता है| CFM एक इकाई है जो कि वायु प्रवाह को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है| उच्च CFM का मतलब है कि पंखा कक्ष में अधिक हवा फेक रहा है| यह एक साधारण गणना है, जिससे आपको जरूरत के अनुसार कूलर का सही आकार खोजने में मदद मिलेगी|

एयर प्रसव या एयर विस्थापन (CFM में) = कमरे का क्षेत्रफल वर्ग फुट में x आपके कमरे की ऊँचाई /2

(विभाजक में कारक 2 का अर्थ है, कि कमरे में हवा हर 2 मिनट में एक बार बदल जाती है)

उदाहरण के लिए आपके कमरे का क्षेत्रफल 100 वर्ग फुट है और छत 8 फीट ऊंची है तो,

एयर प्रसव या वायु विस्थापन(CFM में) = 100×8/2

                                                           = 400 घन फीट/मिनट

तो, CFM को घन मीटर /घंटा में बदलने के लिए CFM के मूल्य में 1.699 का गुणा करना होगा|

1 घन मीटर /घंटा = 1.699 x1 CFM

हमारे उदाहरण में 400 CFM आकर के कूलर की आवश्यकता है,

जो की 1.399 x 400 = 680 घन मीटर/घंटा (लगभग) के बराबर है

कूलर का सही आकार होना बहुत जरूरी है, यदि कूलर आवश्यक आकार से छोटा है तो फिर इसे कमरा ठंडा करने के लिए लंबे समय तक काम करना होगा| ऐसा करने पर यह अधिक ऊर्जा की खपत करेगा| जो की छोटे और सही आकार के कूलर की वाट क्षमता के अंतर पर आधारित होता हैं|

विभिन्न तापमान में प्रभावशीलता:

एयर कूलर गर्म और शुष्क जलवायु में सबसे अच्छा काम करता है| एयर कूलर का काम वातावरण में पानी के वाष्पीकरण पर निर्भर करता है| इसलिए अधिक पानी के वाष्पीकरण से हवा और अधिक ठंडी होगी| लेकिन वातावरण में हवा की धारण क्षमता की एक सीमा होती है, इसलिए यदि हवा पहले से ही नम है तो यह अधिक पानी धारण करने में सक्षम नहीं होगा और परिणामस्वरूप हवा एक हद के बाद ठंडी नहीं होगी, यह एक शुष्क मौसम में ठंडी होगी| इसलिए आर्द्रता बढ़ने से कूलर का असर कम होगा| आजकल इस खामी को दूर करने के लिए ‘आर्द्रता नियंत्रणनामक सुविधा वाले कूलर बन रहे हैं| कई प्रमुख ब्रांड जैसे बजाज और सिम्फनी, नमी को नियंत्रित करने के लिए विशेष सुविधाओं वाले और साथ ही नम तटीय क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले मॉडल का निर्माण कर रहे हैं|

यह आंकड़ा बाहर का तापमान और हवा में नमी के बीच संबंध को दर्शाता है|

(तापमान फारेनहाइट में दिया हैं उसे सेल्सियस में बदलने के लिए दिए गए कैलकुलेटर का उपयोग करे: http://www.manuelsweb.com/temp.htm)|

इसलिए यदि बाहर की हवा का तापमान 90 फारेनहाइट (32.2 सेल्सियस) है और नमी 30% है, तो बाहर की हवा 74 फारेनहाइट (23.3 सेल्सियस) तक ठंडी की जा सकती है| नमी बढ़ते रहने पर, कूलर के द्वारा दिया गया प्रभावी तापमान भी अधिक हो जायेगा|

बिजली की खपत, दक्षता और अन्य कारक:

1) एयर कूलर द्वारा खपत हुई बिजली एयर कंडीशनरों की तुलना में बहुत कम है| 1 टन एसी एक घंटे में 0.8 यूनिट खर्च करता है, जबकि एक हवाई कूलर उतने ही आकार के बराबर कमरे के लिए एक घंटे में 0.1 यूनिट खर्च करेगा| इसी प्रकार से एक 1.5 टन एसी एक घंटे में 1.2-1.3 यूनिट खर्च करता है, जबकि एक एयर कूलर उतने ही आकार के बराबर कमरे के लिए एक घंटे में 0.12 यूनिट खर्च करेगा| उच्च ऊर्जा खपत अधिक बिजली के बिल का अनुवाद है| इसलिए कूलर पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ जेब के भी अनुकूल हैं!

2) जलवायु के अलावा पैड भी दक्षता में योगदान करता है| ठंडा पैड इस्तेमाल करने का तरीका पानी अवशोषण और वाष्पीकरण की प्रक्रिया पर एक बड़ा प्रभाव डालता है| दो लोकप्रिय तरीके छत्ते और एस्पेन (लकड़ी ऊन) हैं| दोनों तरीको में फर्क, पानी अवशोषित और इसके माध्यम से हवा के पारित होने को सुविधाजनक बनाने की क्षमता है| एस्पेन पैड लगभग 85% कुशल हैं, जबकि मधुकोश पैड लगभग 75% कुशल|

3) कूलर बनाने के लिए एक और पहलू सामग्री का इस्तेमाल होता है| फाइबर-आधारित कूलर समकक्ष इस्पात-आधारित कूलर की तुलना में अधिक सुंदर लगता है, लेकिन उसमे छोटे शीतलन पैड क्षेत्र होते है| इसलिए फाइबर-आधारित कूलर, इस्पात-आधारित कूलर की तुलना में कम ठंडा करने की क्षमता रखता है| जस्ती इस्पात शरीर जंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है और इसलिए दक्षता की वृद्धि के साथ-साथ कूलर को लंबा जीवनकाल प्रदान करता है|

मुख्य फायदे:

1)सस्ता होने के अलावा,एयर कूलर ठंडा करने के लिए पानी का उपयोग करता है और एयर कंडीशनर की तरह ठंडा करने के लिए किसी भी सर्द जैसे सीएफसी, HCFC आदि का उपयोग नहीं करता है|इसलिए यह पर्यावरण के बहुत अनुकूल हैं|

2)एक कूलर खरीदने की प्रारंभिक लागत,एक एयर कंडीशनर की तुलना में काफी कम होती है|इसका मतलब कम निवेश से है!

3) इन कूलर द्वारा बिजली खपत, एयर कंडीशनर की तुलना में बहुत कम होती है, इसलिए वार्षिक ऊर्जा की बचत के मामले में भी यह बेहतर हैं| इसलिए कम निवेश के साथ ही कूलर के उपयोग की लागत एसी के उपयोग की तुलना में कम है|

4) कूलर पोर्टेबल होता हैं| इसलिए, इसे कमरे में जहाँ भी आप ठंडा रखना चाहते हैं, रखना बहुत आसान होता है| ५) एयर कंडीशनर एक कमरे के अंदर हवा को ठंडा करता है और फिर से उसी कमरे में हवा फेकता है, जबकि एयर कूलर बाहर से ताजी हवा लेता है, इसे ठंडा करता है और कमरे के अंदर फेकता है| इसलिए अधिक ताजी हवा कमरे में वितरित होती है|

नुकसान:

1) एक एयर कूलर का बड़ा नुकसान जलवायु पर उसकी निर्भरता है| बहुत उच्च नमी वाले क्षेत्रों में, कूलर कम कुशल साबित हो सकता है| कूलर से बाहर आ रही हवा, वाष्पित पानी की वजह से नम होती है| इसलिए, कूलर हवा में नमी को जोड़ने का काम करता है| इसलिए जब कोई कूलर ख़रीदे तो कूलर की विशिष्टताओं में ‘आर्द्रता नियंत्रण’ के लिए जरूर देखे|

2) कूलर को पानी की एक सतत आपूर्ति की भी जरूरत होती है| इसके अलावा अगर आप खारे-जल वाले क्षेत्र में रह रहे हैं, तो कूलर के आंतरिक भागो में जंग लगने का सबसे अधिक जोखिम होता हैं|

3) एयर कूलर में पंखे का शोर परेशान कर सकता है| लेकिन इस पर काबू पाने के लिए बिना आवाज वाले कूलर आज बाजार में उपलब्ध हैं|

4) जब हवा को ठंडा कर रहे हैं, तब सभी दरवाजे और खिड़कियां को बंद करने के बजाय हवा की रफ़्तार अच्छी रखे इससे आपका कूलर अच्छा काम करेगा| कमरे में ताजा हवा का पर्याप्त प्रवाह करने के लिए वहाँ के दरवाजे और खिड़कियां खुले रखें| खिड़की के पास कूलर रखने से और लाभ होगा और कमरा तेजी से ठंडा हो जाएगा|

भारत में कुछ हवा कूलर मॉडल और उनके विनिर्देश तथा कीमतें उपलब्ध है

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