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मोबाइल फोन पर प्रकाश मीटर ‘ऐप्लिकेशन’: कमरे में प्रकाश व्यवस्था का उचित अनुकूलन एवं बिजली बचाने के आसान तरीके

By on August 27, 2015

एक कमरे में रोशनी की स्थापना करते समय सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, की यह कैसे तय किया जाए की आपके कम के लिए सर्वोत्तम प्रकाश व्यवस्था कौन सी हैं| लोग कई बार कमरे में जरुरत से कहीं  ज्यादा प्रकाश उपकरण लगा देते हैं,  जैसे  सीएफएल, ट्यूब लाइट, डाउन-लाइटर,  जो न केवल जरुरत के लिहाज़ से अनावश्यक होते हैं, बल्कि अधिक बिजली की खपत भी करते हैं| टास्क आधारित प्रकाश व्यवस्था पर एक पिछली पोस्ट में हमनें एक कमरे में विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक प्रकाश व्यवस्था के बारें में एक चर्चा की थी| कुछ अवधारणायेन जो चर्चा का मुख्य विषय रहीं थी, वह थी – लूमेन्स और लक्स| अपने लेख में, हमनें हमेशा इस बात पर बल दिया है की वाट चमक को नही मापता है और यह लूमेन्स ही होता हैं, जिसे की प्रत्येक उपभोक्ता को प्रकाश उपकरण खरीदते समय एक बार जरूर देखना चाहिए। हालांकि, आजकल अब कई लुमिनेरेस लूमेन्स का उल्लेख करते  है, परन्तु, बाज़ार में ऐसे कई लुमिनेरेस है जिन्हे अभी भी ऐसा करने की आवश्यकता है| हमसे हमारे लेखो में एक प्रश्न अक्सर प्रमुखतापूर्वक पूछा जाता हैं कि हम रोशनी को कैसे मापें?  और दिलचस्प बात यह है हमे हाल ही में इसका उत्तर मिला कि मोबाइल फोन पर एक “प्रकाश मीटर अनुप्रयोग” होता है, जिससे हम रोशनी को माप सकते हैं, लेकिन इस विषय पर गहराई से बात करने से पूर्व, पहले हम बुनियादी अवधारणाओं को ठीक से समझ और उनका उचित पुनरभ्यास कर लेते हैं|

लूमेन्स क्या होते है?

लूमेन्स द्वारा चमक को नापा जाता है। यह एक प्रकाश स्रोत से उत्सर्जित दृश्यमान प्रकाश की मात्रा को मापता है। यह एक बल्ब के इनपुट की बजाय उसका उत्पादन होता है। इनपुट वाट में दर्शाया जाता है, लेकिन उत्पादन लूमेन्स में मापा जाता है। एक 100 वाट इन्कैंडेस्केन्ट बल्ब 23 वाट के सीएफएल के रूप में लूमेन्स के बराबर कि रौशनी देता है। यहां तक की एक प्रकाश बल्ब की दक्षता को लूमेन्स/वाट (उत्पादन/इनपुट) के फॉर्मूले में परिभाषित किया गया है।

लक्स क्या होते है?

जब एक बल्ब को जलाया जाता है, तो वह कमरे में हर जगह प्रकाश की एक ही मात्रा (रौशनी) नहीं प्रदान करता है। जो क्षेत्र बल्ब के करीब होते है, वहाँ की वस्तुएं ज्यादा चमकती हैं और जो क्षेत्र दूर होते हैं, वहां प्रकाश की मात्रा कम होती हैं| उसका  कारण यह हैं की एक प्रकाश स्रोत से बाहर आ रहा  लूमेन्स , चारों ओर विशाल क्षेत्र में फैलता हैं|  यहाँ तक की जो प्रकाश श्रोत का बीम कोण होता हैं, वह भी प्रकाश के प्रवाह को (विशेष रूप से एलईडी के मामले में) निर्धारित करता हैं| लक्स, एक अवधारणा है जो एक विशिष्ट बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता को मापने के लिए परिभाषित होता हैं। तकनीकी तौर पर लक्स को  लूमेन्स /मीटर2 के रूप में मूल्यांकित  किया जाता है और यह वह मात्रा होती हैं, जिसे कार्य के अनुसार मापा और अनुकूलित किया जा सकता है|

विभिन्न कार्यों के लिए लक्स मूल्य

हालांकि, हमने अपने एक पिछले लेख में इसे पहले ही प्रकाशित लिया हैं| परन्तु, हम यहाँ इसे फिर से हमारे पाठकों की सुविधा के लिए पुनः प्रकाशित कर रहे हैं:

गतिविधि

रोशनी

(लक्स, लुमेन / एम 2)
ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र  जहाँ अँधेरा व्याप्त रहता हो

20-25

छोटी यात्राओं के लिए सरल दिशानिर्देश

50-100

काम वाले  क्षेत्रों में जहाँ केवल  कभी-कभार ही दृश्य कार्य प्रदर्शित होतें हैं 100-150
गोदाम, घर , थियेटर, अभिलेखागार 150
छोटे कार्यालय, कोचिंग 250
सामान्य कार्यालय का काम, पीसी पर काम, अध्ययन लाइब्रेरी 500

(अधिक जानकारी: http://www.engineeringtoolbox.com/light-level-rooms-d_708.html) पर उपलब्ध है|

प्रकाश मीटर अनुप्रयोग, लक्स मूल्य को मापने के लिए

हाल ही में, हमने अपने स्वयं के अनुसंधान में यह पाया की बाजार में ऐसे कई मुफ्त मोबाइल फ़ोन उपलब्ध हैं, जो किसी भी स्थान पर लक्स मूल्य को मापने में सक्षम होते हैं| हमे यह जानकारी मात्र गूगल प्ले स्टोर पर “प्रकाश मीटर अनुप्रयोग” की खोज करके प्राप्त हो गई| इसी तरह के एप्स ‘एप्पल एप्स’  स्टोर पर भी  उपलब्ध होते हैं और “लक्स मीटर” खोज के द्वारा इनको पाया जा सकता है। घर में रोशनी की स्थापना करते समय इन्हे आसानी से उपयोग में लाया भी जा सकता है।

यदि आप एक अध्ययन मेज पर प्रकाश  स्थापित करना चाह रहे हैं, तो आप मेज पर आने वाले प्रकाश को मापे और यह  सुनिश्चित करें  की उसे कम से कम 500 लक्स रौशनी प्राप्त हो सके। आप एप्स के माध्यम से यह सुनिश्चित कर सकते हैं, की कमरे के हर कोने में  100 लक्स रौशनी (एक कमरे में सामान्य प्रकाश) मिले| इस प्रकार आप प्रकाश के उचित अनुकूलन के साथ-साथ बिजली के बिल में भी महत्त्वपूर्ण बचत करने में कामयाब हो पाएंगे|

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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