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BEE स्टार रेटिंग योजना की पूर्ण व्याख्या

By on August 25, 2015

आजकल हम जब अपने घर के लिए एक बिजली उपकरण ख़रीदने के लिए जातें हैं, तब उपलब्ध विकल्पों की संख्या इतनी अधिक होती हैं की परिणाम स्वरूप हमारी उन विकल्पों को समझने व मूल्यांकन करने की क्षमता भी कम पड़ जाती हैं| इस कारण, अज्ञानतावश हम कभी-कभी कुछ ऐसा खरीद लेते हैं जो हमारे लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं होता हैं| हालांकि, एक बार ख़रीदा गया उपकरण आपके पास घर में 8-10 वर्ष (उपकरण के संपूर्ण जीवनकाल) रहता हैं, और हम आसानी से उसे बदलते भी नहीं हैं| यह उपकरण जैसे रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर या वाशिंग मशीन आमतौर पर महंगे भी होते हैं| इसलिए, यह बहुत जरूरी होता हैं की हम इन उपकरणों को खरीदने से पहले इनके प्रदर्शन और सेवाओं को अच्छी तरह से समझ ले|

किसी उपकरण को अगर हम पहली बार खरीद रहे हैं, या उसका उन्नयन (अपग्रेडेशन)  या प्रतिस्थापन कर रहे हैं, तो हमे निम्नलिखित तथ्यों का ख़ास ध्यान करना पड़ता हैं उपकरण की लागत, आकार, डिजाइन, सुविधाओं, रंग आदि| इसके अलावा हमारी प्राथमिकता सूची में एक और महत्वपूर्ण कारक होता हैं – बिजली खपत, यानी उपकरण कितनी बिजली की खपत करेगा| एक उपकरण जो कम ऊर्जा खपत करता है, उसके लिए खरीदते वक़्त किया गया अतिरिक्त भुगतान भी लंबे समय में उपयोगी साबित हो जाता हैं|

निरंतर अनुसंधान से यह साबित भी हुआ हैं की, हमारे खरीद का निर्णय काफी हद तक उपकरण की कीमत पर ही संचालित होता हैं| खरीद के दौरान अमूमन हम उपकरण के उपयोग की लागत (जैसे की बिजली बिल का भुगतान, आदि) को नजरअंदाज करते हैं| शोध से यह भी पता लगता हैं कि अगर हम एक बार उपकरण के भविष्य के लाभ के बारे में सूचित हो तो, हम एक अधिक तर्कसंगत निर्णय ले सकते हैं| इस जानकारी को हमारे तक पहुचाने क़े  लिए, भारत सरकार द्वारा संचालित BEE (ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, विद्युत मंत्रालय) ने मानक और लेबलिंग कार्यक्रम क़े अंतर्ग्रत निर्माताओं को एक लेबल लगाने को कहा हैं| ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा संचालित मानक और लेबलिंग कार्यक्रम मई 2006 में पेश हुआ था| इस लेबल द्वारा उपभोक्ताओ को यह ज्ञात होता है की उपकरण (कुछ शर्तों/परिस्थितियो के तहत) कितना बिजली का उपभोग करता हैं|

यह कार्यक्रम वर्तमान में कई घरेलू उपकरणों जैसे की रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, टीवी, गीजर, टयूब लाइट, पंखे, आदि के लिए चल रहा है| यह योजना कुछ उपकरणों क़े लिए तो अनिवार्य है, जबकि अन्य के लिए स्वैच्छिक| हालांकि, जब एक बार जब हम बिजली बचाने और उसके बिल को कम करने का फैसला कर लेते हैं, तब हमारे लिए यह अत्यंत जरूरी हो जाता हैं की हम यह पता लगाये की यह लेबल क्या हैं और यह हमे जानकारी दे रहे हैं|

यह लेबल काफी अनुसंधान के बाद तैयार किये गए हैं| यह कई महत्वपूर्ण चीज़ो के बारे में बाते हैं| “स्टार” लेबल सबसे महत्वपूर्ण व प्रसिद्ध लेबल होता हैं| अधिक स्टार का मतलब अधिक कुशल उपकरण होता हैं| लेबल के दो प्रकार होते हैं – बड़े लेबल और छोटे लेबल| रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, गीजर और वॉशिंग मशीन के लिए बड़ा लेबल प्रयोग किया जाता है, जबकि पंखे, टयूब लाइट, कंप्यूटर/लैपटॉप और टीवी के लिए छोटे लेबल का ही प्रयोग होता हैं|

नीचे कुछ सैंपल लेबल के बारें में जानकारी प्रस्तुत हैं:

Small AppliancesBig Label

 

इन लेबलों का ब्यौरा BEE, अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध विभिन्न दस्तावेजों के माध्यम से अधिक विस्तारपूर्वक समझाती हैं|  हमने भी प्रत्येक उपकरणों व उनके लेबल की विभिन्न मदों की व्याख्या करने की कोशिश की है| अगर आप के पास इतना वक़्त नहीं हैं, की आप इन लेबल व उपकरणों के सूक्ष्म विवरण का अध्ययन करें, इसके अलावा अधिक पैसा खर्च करने में भी आपको कोई ऐतराज न हो, तब आप निशिंत्तापूर्वक पांच रेटेड लेबल वाले उपकरण खरीद सकते हैं|

लेबलिंग कार्यक्रम के बारे में एक अतिरिक्त पहलू यह भी होता हैं, की वह हर वर्ष अपडेट किया जाता है| आप में से कुछ को ऐसा जरूर लगता होगा की, जैसे प्रौद्योगिकी में निरंतर और अधिक सुधार होता हैं और अधिक कुशल उत्पादों की उपलब्धता भी बढ़ती जा रही हैं, इन कारको को  हम लेबलिंग में कैसे समायोजित करते हैं| उदाहरण के लिए, एक कंपनी 2012 में एक उपकरण बनाती हैं, जो 2011 में एक पांच सितारा मूल्यांकित उपकरण से बेहतर हैं| तो इस केस में, यह प्रश्न उठना लाज़िमी हैं की लेबलिंग के द्वारा 2011 में एक पांच सितारा उपकरण और 2012 में कंपनी द्वारा उत्पादित उपकरण के बीच का अंतर कैसे रेखांकित होगा?

स्टार रेटिंग योजना अलग-अलग उत्पादों, निर्मित एवं आयातित, तथा कई वर्षों में इकट्ठे  उत्पादों के लिए अलग होती हैं| सभी उपकरणों में रेफ्रिजरेटर की लेबलिंग समझना सबसे आसान होता हैं, क्यूंकि वे kWh के अनुमानित वार्षिक खपत पर आधारित होते हैं| अगर आप KWH को बिजली की औसत लागत से गुणा करें, तब आपको वार्षिक खपत और उसके सटीक मूल्य का अंदाज़ा लग जायेगा|

रेफ्रिजरेटर के स्टार न केवल ऊर्जा के इस्तेमाल पर बल्कि रेफ्रिजरेटर की क्षमता/मात्रा पर भी निर्भर करते हैं| एक सूत्र जिसमे वार्षिक ऊर्जा का उपयोग, कांस्टेंट गुणक (मल्टीप्लायर), समायोजित (एडजस्टेड) भंडारण मात्रा, और ‘कांस्टेंट फिक्स्ड अलाउंस’ का संयुक्त रूप से इस्तेमाल कर हम एक रेफ्रिजरेटर की स्टार रेटिंग की गणना कर सकते हैं|

उदाहरण के लिए, एक 2010 निर्मित रेफ्रीजिरेटर, जिसका ग्रॉस वॉल्यूम 250 लीटर हैं और अगर वह एक वर्ष में  सिर्फ 385 बिजली इकाइयों की खपत करता हैं, तो BEE  उसका मूल्यांकन पांच सितारों से करता हैं| लेकिन अगर एक 2012 निर्मित रेफ्रीजिरेटर, जिसका ग्रॉस वॉल्यूम वही 250 लीटर हैं और अगर वह एक वर्ष में बिजली खपत भी समान हैं, तो BEE उसका मूल्यांकन चार सितारों से करता हैं| ऐसा इसलिए हैं क्यूंकि वर्ष 2010 में रेफ्रिजरेटर इतनी बिजली खपत करके कम ऊर्जा खपत वाले चुनिंदा रेफ्रिजरेटर में था, वर्ष 2012 में प्रौद्योगिकी नवीनता के साथ,  नए निर्मित रेफ्रिजरतरो ने ऊर्जा खुशलता के पैमाने पर 2010 के शीर्ष रेफ्रिजरतरो को पीछे छोड़ दिया|  इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि, दो रेफ्रिजरेटर के बीच तुलना करने से पहले लेबल में रेफ्रिजरेटर का निर्माण वर्ष एवं उसकी प्रयोज्यता का वर्ष की जांच अवश्य कर ले|

लेबल में एक हरे रंग का बॉक्स होता है, जो यह बताता हैं की लेबल में अंकित साक्ष्य किस वर्ष के लिए लागू हैं|  रेफ्रीजिरेटर के अलावा एयर कंडीशनर के लिए भी हम लेबल के हरे रंग को देख कर उसके साक्ष्यों का अध्ययन कर सकते हैं| हालांकि, अन्य उपकरणो का इस तरीके का सामयिक या ताज़ा विश्लेषण उपलब्ध नहीं हैं|

यदि आप अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं और अपना कुछ विश्लेषण भी करना चाहते हैं, ताकि आप भविष्य कि सुविधाओ का लाभ ले सके, तो कृपया आप निरंतर बिजली बचाओ देखते व पड़ते रहे| आप हमारे फेसबुक पेज को भी पसंद करके हमारी इस पहल में साथ दे सकते हैं और इस माध्यम से हमे प्रोत्साहित भी कर सकते हैं| हमारा फेसबुक लिंक हैं – http://www.facebook.com/BijliBachaoInfographic

About the Author:
Abhishek Jain is an Alumnus of IIT Bombay with almost 10 years of experience in corporate before starting Bijli Bachao in 2012. His passion for solving problems moved him towards Energy Sector and he is keen to learn about customer behavior towards Energy and find ways to influence the same towards Sustainability. .

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