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भारत में नाबार्ड के माध्यम से सौर पीवी सिस्टम पर सब्सिडी पाने की प्रक्रिया

By on April 29, 2015

बिजली की आपूर्ति भारत के अधिकांश भागों में काफी अविश्वसनीय होती है| इसी कारण अनिर्धारित बिजली कटौती और अनुसूचित वृद्धि के कारण भारत के अधिकांश शहरों में वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से बिजली को उत्पन्न एवं उपयोग करने में लोगो की रुचि काफी बढ़ गई है| हालांकि, उच्च पूंजी लागत अक्षय स्रोतों के माध्यम से ऊर्जा के दोहन करने में एक सशक्त व्यवधान उत्पन्न करते हैं| भारत में, सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने जनवरी सन 2010 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन का शुभारंभ किया था| इसका उद्देश्य, बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा प्रणालियों की तैनाती के लक्ष्य को हासिल करना था, और सन 2022 तक ग्रिड समता प्राप्त करने के लिए कच्चे माल, उपकरणों और उत्पादों के घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण सहायता करना भी था।

इस मिशन के तहत भारत सरकार ने यह सब्सिडी योजना शुरू कर दी थी, जिससे व्यक्तियों और संगठनों को कम पूंजी लागत में सौर ऊर्जा प्रणालियों की खरीद में उचित मदद मिल सके| यह योजना नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के माध्यम से इरेडा (भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। यह योजना 15 मार्च 2012 को अंतिम बार संशोधित की गई थी, यह भारत में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्थित सौर पीवी सिस्टम की पूंजी लागत पर लगभग 40% सब्सिडी प्रदान करती हैं|

नीचे प्रस्तुत प्रक्रिया का उल्लेख कर हमे एक सौर पीवी प्रणाली खरीदने की प्रक्रिया की रूपरेखा और नाबार्ड के माध्यम से सब्सिडी/ऋण प्राप्त करने की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होती हैं| हम हमारे पाठक श्री गोपीनाथ श्रीनिवास का भी शुक्रिया अदा करना चाहेंगे जिन्होंने हमें सब्सिडी प्राप्त करने के अपनी व्यक्तिगत अनुभव की जानकारी प्रदान करवाई, जिस कारण हम आपके समक्ष यह लेख लेकर उपस्थित हो सके:

1) प्रथमतः यह अत्यंत महत्वपूर्ण होता हैं, की हम सौर पीवी प्रणाली के सही निर्माता/आपूर्तिकर्ता का चयन करें| निर्माता/आपूर्तिकर्ता एमएनआरई (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) द्वारा स्वीकृत होना चाहिए| आपके क्षेत्र में एमएनआरई स्वीकृत निर्माता/आपूर्तिकर्ता की सूची प्राप्त करने के लिए, आप इस लिंक की जाँच कर सकते हैं: http://www.mnre.gov.in/information/manufacturesindustriesarchitectsconsulting-organisation/

2) एमएनआरई द्वारा अनुमोदित मॉडल ही इस योजना के तहत कवर किया जाने योग्य होते हैं| नीचे प्रस्तुत सूची एमएनआरई द्वारा अनुमोदित मॉडल के बारें में जानकारी देती है: NABARD(स्रोत: नाबार्ड)।

एक नाबार्ड दस्तावेज़ (लिंक) के अनुसार, सौर पीवी प्रणाली की बेंचमार्क लागत प्रति वाट-पावर 270 रुपये होती है| लेकिन यूनिट की लागत समय-समय पर संशोधित होती रहती हैं, इस कारण यह आवश्यक होता हैं की आपके निर्माता/आपूर्तिकर्ता, उसी अनुसार आपका ठीक से मार्गदर्शन करने में सक्षम भी होने चाहिए।

3) अगर यूनिट की लागत, बेंचमार्क लागत से भी कम है, फिर पूरी 40% सब्सिडी पर दावा किया जा सकता है। लेकिन अगर यूनिट की लागत, बेंचमार्क लागत से अधिक है, तो कुल पूंजी सब्सिडी अधिकतम पूंजी सब्सिडी के उच्चतम स्तर तक ही सीमित हो सकती हैं, जैसा की उपरोक्त तालिका में भी दर्शाया गया हैं|

4) केवल व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), जेएलजी (संयुक्त देयता समूह), गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और किसान क्लब नाबार्ड के माध्यम से सब्सिडी के लिए पात्र हैं। सार्वजनिक/निजी लिमिटेड कम्पनियां इस सब्सिडी के लिए पात्र नहीं हैं।

5) सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए, आपका एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के साथ खाता होना आवश्यक है। अधिकांश सार्वजनिक राष्ट्रीयकृत बैंकों को इसके लिए संपर्क किया जा सकता है।

6) 40% सब्सिडी होती हैं और बाकी की 60% लागत के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होता हैं| हालांकि, आरबीआई के नियमों के अनुसार ही लाभार्थी द्वारा (60%) मार्जिन के भुगतान का निर्णय लिया जाता है| ऋण के पुनर्भुगतान की अवधि 5 वर्ष होती है| ब्याज दरों के बारें में भी आरबीआई के नियमों के अनुसार ही फैसला लिया जाता है।

7) ऋण प्राप्त करने के लिए, आपको विक्रेता से उपलब्ध उद्धरण और दस्तावेज प्रस्तुत करना पड़ता है। विक्रेता आपको एमएनआरई अनुमोदन फार्म, टिन नंबर, परियोजना प्रस्ताव, आदि मुहैया करायेगा, जिसको आपको बैंक के समक्ष प्रस्तुत करना होगा|

8) सभी दस्तावेजों और ऋण प्रसंस्करण और पुष्टि करने के बाद, बैंक ऋण उपलब्ध कराता हैं और संबंधित दस्तावेज सब्सिडी के निवारण के लिए नाबार्ड को भेजे जाते हैं| जैसे ही ऋण संसाधित किया जाता है, ईएमआई के रूप में लोन की अदायगी शुरू हो जाती हैं| हालांकि, नाबार्ड के माध्यम से सब्सिडी का निवारण कुछ समय लेता हैं| एमएनआरई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऋण पर ब्याज सब्सिडी भाग के लिए नहीं होना चाहिए।

9) अगर बैंकों को निरीक्षण के दौरान ऐसा ज्ञात होता हैं की सब्सिडी का दुरुपयोग किया जा रहा हैं, तो ऐसे मामलो में बैंको को सब्सिडी वापस लेने का पूरा अधिकार होता है।

योजनाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आप निम्नलिखित दस्तावेजों को देख सकते है:

  1. Capital Subsidy Scheme for Solar Lighting and Small Capacity Solar PV systems
  2. Guidelines for off-grid and decentralized solar application.

सूचना के स्रोत

NABARD website

MNRE website

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